छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई Cabinet Meeting में राज्य के 5 प्रमुख प्राधिकरणों का पुनर्गठन करने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. इसके साथ ही राज्य ग्रामीण विकास, आदिवासी क्षेत्र, पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजातियों के विकास से जुड़े 5 प्राधिकरणों के पुनर्गठन का रास्ता भी साफ हो गया है. इन निकायों के पुनर्गठन का काम काफी समय से लंबित था. इनके गठन में बतौर सदस्य शामिल किए जाने वाले व्यक्तियों की योग्यता संबंधी नियम का दायरा भी व्यापक करने की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. अब जनप्रतिनिधियों के रूप में MP MLAs सहित अन्य निर्वाचित व्यक्ति भी प्राधिकरण के सदस्य बन सकेंगे.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार राज्य के 5 प्राधिकरणों के पुनर्गठन की कैबिनेट से मंजूरी दी गई है. इनमें ग्रामीण एवं पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण, सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण तथा बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण शामिल हैं. कैबिनेट के समक्ष इनके पुनर्गठन आदेश में संशोधन करने का प्रस्ताव पेश किया गया था.
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इसके अलावा इनमें संबंधित क्षेत्र के Rajya Sabha and Lok Sabha MP के अलावा प्राधिकरण क्षेत्रों के जिला पंचायत अध्यक्षों को भी सदस्य बनाया जाएगा. पांचों प्राधिकरणों में Tribal Community तथा Schedule Cast से जुड़े विभाग के प्रमुख सचिव अथवा सचिव को भी बतौर सदस्य शामिल किया जाएगा. इनमें शेष सभी सदस्य यथावत रहेंगे.
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन आदेश के मुताबिक मुख्यमंत्री को प्राधिकरण के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं, क्षेत्र के विधायक इसके उपाध्यक्ष होंगे.
इसके सदस्य के रूप में अब राज्य के सभी मंत्री सदस्य होंगे. इससे पहले तीन विभागों के मंत्री सदस्य होते थे. अब अन्य सदस्य के रूप में क्षेत्र के राज्यसभा एवं लोकसभा सांसद, प्राधिकरण क्षेत्र के जिला पंचायत अध्यक्ष, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव के अलावा 35 विधायकों को शामिल किया गया है.
इसी प्रकार सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण सहित अन्य सभी प्राधिकरण के अध्यक्ष का पद मुख्यमंत्री के पास ही रहेगा. वहीं, सरगुजा क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति के विधायक को सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है. इन सभी प्राधिकरण में अब राज्य के सभी मंत्री सदस्य होंगे. इससे पहले सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण में वित्त मंत्री एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री ही सदस्य होते थे.
इसके अलावा प्राधिकरण क्षेत्र के राज्यसभा एवं लोकसभा के सांसद, प्राधिकरण क्षेत्र के जनजाति बहुल जिलों के जिला पंचायत अध्यक्ष और आदिवासी विकास से जुड़े अधिकतम दो समाजसेवी एवं विशेषज्ञों भी राज्य शासन द्वारा मनोनीत करके सदस्य बनाया गया है. इसमें अन्य सदस्य के रूप में 14 विधायकों को शामिल किया गया है.
इसके अलावा अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री को तथा अनुसूचित जाति के विधायक को प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी. जबकि सदस्य के रूप में अब राज्य के दो मंत्रियों के बजाय सभी मंत्रियों के अलावा संबंधित क्षेत्र के राज्यसभा एवं लोकसभा के सांसद, अनुसूचित जाति के जिला पंचायत अध्यक्ष, अनुसूचित जाति विकास से जुड़े अधिकतम दो समाजसेवी एवं विशेषज्ञ एवं 10 विधायक सदस्य होंगे. साथ ही मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव या सचिव, इस प्राधिकरण के सदस्य सचिव होंगे.
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संशोधन आदेश के मुताबिक मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण और बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण का पुनर्गठन भी इसी तर्ज पर किया गया है. इन दोनों प्राधिकरण में सीएम को अध्यक्ष के अलावा सदस्य के रूप में सांसद, विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष सहित 12 विधायकों को सदस्य बनाया गया है.
इसके अलावा कैबिनेट के एक अन्य अहम फैसले के तहत शहरों के सुव्यवस्थित विकास और विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शहरी विकास नीति (TDS) काे मंजूरी मिली है. इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने हेतु आवास एवं Environment Department को अधिकृत किया गया है.
गौरतलब है कि इस नीति को लागू करने का मकसद विकास योजनाओं में प्रस्तावित जन उपयोगी जमीन का समुचित विकास करना है. जिससे अतिक्रमण तथा अवैध निर्माणों को हटाते हुए शहरी आबादी को आधुनिक नागरिक सुविधाएं दी जा सकें. सरकार ने स्पष्ट किया है कि नगर विकास योजना को आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक अथवा अन्य प्रयोजन हेतु लागू किया जाएगा.
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