गत लोकसभा चुनाव में भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ यूपी में पार्टी का चुनावी प्रदर्शन उम्मीद के बिल्कुल विपरीत रहा. यूपी से बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद में ही भाजपा सहित अन्य दलों ने अपने तमाम विधायकों काे भी लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा था. इनमें से Leader of Opposition अखिलेश यादव सहित 10 विधायक सांसद बन गए हैं. इससे रिक्त हुई सीटों पर जल्द ही उपचुनाव होगा. यह उपचुनाव भाजपा के लिए अपनी खोई जमीन वापस पाने का एक अवसर होगा, वहीं, विपक्षी दलों के लिए जनता में अपनी पैठ को और अधिक मजबूत करने का बेहतर विकल्प साबित होगा. कुल मिलाकर भाजपा, खासकर योगी और Modi Govt पर इस उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव ज्यादा है. भाजपा यदि उपचुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाती है, तो विपक्षी दलों को भाजपा पर हावी होने का मनोवांछित मौका मिल जाएगा.
यूपी के 9 विधानसभा सदस्य और एक विधान परिषद सदस्य लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनने में कामयाब रहे हैं. इस प्रकार विधानसभा की नो और विधान परिषद की 1 सीट पर उपचुनाव होना है. लोकसभा चुनाव के बाद होने वाला उपचुनाव, Ruling and Opposition Parties, दोनों के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा.
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इस उपचुनाव में सबसे High Profile सीट करहल होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस सीट से भाजपा के केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को हराया था. माना जा रहा है कि सपा की इस परंपरागत सीट से अखिलेश अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को उपचुनाव में उतार सकते हैं.
इसी प्रकार मिल्कीपुर से सपा के विधायक अवधेश प्रसाद ने फैजाबाद सीट पर जीत का परचम लहराकर भाजपा की जड़ें हिलाने का कारनामा कर दिखाया है. ऐसे में मिल्कीपुर सीट से सपा द्वारा अवधेश प्रसाद के बेटे अमित प्रसाद को उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने की चर्चा है. इसके अलावा कटेहरी सीट से सपा के विधायक लालजी वर्मा अंबेडकरनगर सीट से सांसद चुने गए हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर उपचुनाव में सपा लालजी की बेटी आंचल को उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि कुर्मी बहुलता वाली इस सीट पर कुर्मी बिरादरी के अन्य नेता भी टिकट की दावेदारी पेश करने लगे हैं.
पश्चिमी यूपी में मुरादाबाद जिले की कुंदरकी सीट से सपा विधायक जियाउर्रहमान बर्क संभल से लोकसभा सांसद बनने में कामयाब रहे. ऐसे में कुंदरकी सीट पर उपचुनाव में किस्मत आजमाने के लिए सपा खेमे से दो दावेदार सामने आए हैं. इनमें बर्क के पिता और संभल के दिवंगत सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के बेटे मामलुक उर रहमान की दावेदारी को मजबूत माना जा रहा है. उनके अलावा कुंदरकी सीट से पूर्व विधायक मोहम्मद रिजवान ने भी उपचुनाव में सपा के टिकट पर दावा पेश कर दिया है.
लोकसभा चुनाव में यूपी से सपा के 4, भाजपा के 3 और रालोद एवं निषाद पार्टी का एक एक विधायक सांसद बने हैं. ऐसे में आगामी उपचुनाव के दौरान एनडीए को 5 सीटों पर और इंडिया गठबंधन को 4 सीटों पर जोर आजमाइश करनी पड़ेगी. भाजपा खेमे से सांसद बनने वाले विधायकों में अलीगढ़ जिले की खैर सीट से भाजपा के विधायक अनूप वाल्मीकि, गाजियाबाद से विधायक डॉ अतुल गर्ग, मिर्जापुर की मंझवा सीट से निषाद पार्टी के विधायक डॉ विनोद बिंद और फूलपुर से भाजपा विधायक प्रवीण पटेल शामिल हैं.
इसके अलावा मीरापुर सीट से रालोद के विधायक चंदन सिंह चौहान बिजनौर से सांसद बन गए हैं. विधानसभा चुनाव के समय रालोद सपा के साथ थी, लेकिन अब लोकसभा चुनाव में रालोद एनडीए में शामिल हो गई है. भाजपा खेमे की इन सीटों पर उपचुनाव में उम्मीदवारों की दावेदारी को लेकर अभी पत्ते नहीं खुले हैं. देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा अब रालोद और निषाद पार्टी को उनके विधायकों वाली सीट पर उपचुनाव में उम्मीदवार उतारने का मौका देगी या खुद अपने उम्मीदवार उतारेगी.
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लोकसभा चुनाव में विभिन्न दलों के 10 राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए हैं. इस कारण संसद के उच्च सदन राज्यसभा की भी 10 सीटें खाली हुई है. इनमें असम, बिहार और महाराष्ट्र की दो दो सीटें और हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं त्रिपुरा की एक एक सीट शामिल है.
इनमें असम से सर्बानंद सोनोवाल, मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया, महाराष्ट्र से पीयूष गोयल और त्रिपुरा से बिप्लव कुमार देव को केंद्रीय मंत्री भी बनाया गया है. इसके अलावा हरियाणा से कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा, बिहार से राजद की मीसा भारती, और राजस्थान से कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल भी लोकसभा सदस्य चुने गए हैं. समझा जाता है कि MP से रिक्त हुई राज्यसभा सीट पर भाजपा द्वारा केपी यादव या नरोत्तम मिश्रा को उच्च सदन का सदस्य बनाया जा सकता है.
गौरतलब है कि केपी यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में एमपी की गुना सीट से सिंधिया को हराया था. वहीं, एमपी में 2020 में कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्रा, 2023 में हुए एमपी विधानसभा चुनाव में खुद दतिया सीट से चुनाव हार गए थे. भाजपा इन दोनों कद्दावर नेताओं में से किसी एक को राज्यसभा भेज सकती है.
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