देश में नकली खाद और नकली बीज किसानों औऱ कृषि के लिए बड़ समस्या है. क्योंकि कई बार इसके कारण किसानों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है औऱ भारी नुकसान भी होता है. क्योंकि नकली खाद और बीज होने के कारण इसकी पैदावापर पर असर पड़ता है जब तक किसानों को असर का पता चलता है तब तक बहुत देर हो जाती है. किसानों की फसल भी खत्म हो जाती है. अच्छी पैदावार भी नहीं होती है. किसानों का खेती करने का समय भी चला जाता है और पूंजी भी नष्ट हो जाती है. किसान इसे लेकर शिकायत भी करते हैं पर कोई सुनवाई नहीं होती है. किसानों को यह नुकसान इसलिए होता है क्योंकि वो असली नकली के अंतर को नहीं समझ पाते हैं.
ऐसे में उन्हें यह जानना चाहिए की असली और नकली के बीच में क्या फर्क होता है ताकि वो होने वाले नुकसान से बच सकें. झारखंड, ओडिशा समेत कई राज्यों से ऐसी खबरे आती है कि जिसमें बताया जाता है कि नकली खाद और बीज के कारण किसानों को नुकसान हुआ है. हालांकि ऐसी खबरों से कृशि विभाग और कृषि विज्ञान केंद्रो की परेशानी बढ़ जाती है. हालांकि इस मुसिबत का सामना करने के लिए कृषि विभाग ने एक अभियान शुरू किया है. इसके तहत किसानों को यह बताया जाता है कि किसान किस तरह से असली और नकली बीज की पहचान कर सकते हैं. ताकि वो नकली बीज और खाद से होने वाले नुकसान से बच सकें.
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दरअसल अच्छी उपज हासिल करने के लिए खेत में बोई जाने वाली बीज और इस्तेमाल किए जाने वाले खाद और दवाओं की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए. तब जाकर ही किसान को अपने खेत से अच्छी उपज हासिल होती है. क्योंकि अक्सर खरीफ या रबी के मौसम में जब मांग अधिक होती है तो अधिक बीज की बिक्री के लिए और किसानों को लुभान के लिए बीज कंपनियां कई तरह की स्कीम लेकर आती है. किसान उस स्कीम में फंस जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं. पर किसानों को इससे बचना चाहिए और हमेशा बीज प्रमाणन प्रणाली द्वारा प्रमाणित बीज ही खरीदना चाहिए.
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इन सब परेशानियों देखते हुए बीज खरीदते समय इन बातों का खास ध्यान देना चाहिए.
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