आज जब नेता चुनाव के वक्त टिकट की जुगत में दिन-रात एक कर देते हैं और किसी भी हालत में टिकट पा लेना चाहते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की एक मामूली सी महिला से पूछा कि चुनाव लड़ोगी? तो उसने मना कर दिया. दरअसल यह सब तब हुआ जब पीएम मोदी अपने वाराणसी दौरे के दूसरे दिन सेवापुरी विकासखंड के बरकी गांव में जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे. वाराणसी के सेवापुरी ब्लॉक के बरकी ग्राम सभा में आयोजित विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान 'मेरी कहानी मेरी जुबानी कार्यक्रम' में पीएम मोदी के सामने लाभार्थी महिला चंदा देवी अपने अनुभवों को साझा कर रही थीं.
चंदा देवी के आत्मविश्वास से प्रभावित प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि आपकी पढ़ाई कितनी हुई है. चंदा देवी ने बताया कि वो इंटर तक पढ़ी हुई हैं. इसपर प्रधानमंत्री ने पूछा कि आप इतना बढ़िया भाषण देती हैं, क्या पहले चुनाव लड़ चुकी हैं? इस पर चंदा देवी ने इनकार किया. इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने चंदा देवी से पूछा कि क्या आप चुनाव लड़ेंगी? चंदा देवी ने कहा कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगी मगर वो प्रधानमंत्री से प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि आपके प्रयासों से हम कदम मिलकार चलना चाहते हैं. आपके सामने उपस्थित होना और दो बातें कहना मेरी लिए सौभाग्य की बात है.
प्रधानमंत्री ने चंदा देवी से उनके बच्चों की पढ़ाई के बारे में भी पूछा. यह भी पूछा कि कामकाजी महिला होने पर परिवार का ध्यान रखने में कोई दिक्कत तो नहीं. बातचीत के अंत में पीएम मोदी ने चंदा देवी समेत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को नसीहत भी दी कि वे सभी महिलाओं को शादी या समारोह में खाना परोसने का काम भी कर सकती हैं. इससे खाने की बर्बादी रुकेगी और बचे खाने को सदुपयोग भी हो पाएगा.
आइये जानते है कि आखिर पीएम मोदी के चुनावी आफऱ को ठुकराने वाली चंदा देवी(35) हैं कौन? आजतक से खास बातचीत में जनसभा स्थल 'बरकी' के नजदीक गांव रामपुर की चंदा देवी ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2004 में इंटर की परीक्षा पास की है और फिर 2005 में उनकी शादी रामपुर के किसान परिवार लोकपति पटेल से हो गई. फिर वे आगे नहीं पढ़ सकीं. अभी उनके दो बच्चे हैं. बड़ी बेटी प्रिया (14) और छोटा बेटा अंश (8) है. बेटा उनका सरकारी स्कूल में पढ़ता है, जबकि बेटी हिंदी मीडियम प्राईवेट स्कूल में पढ़ती है. दोनों ही बच्चे पढ़ाई में होनहार हैं, क्योंकि अक्सर उनके टीचर इस बारे में बताते रहते हैं.
उनका मायका उनके ससुराल रामपुर के नजदीक नहवानीपुर गांव, पोस्ट- बनकट में है. वे सिर्फ इंटरमीडिएट तक ही पढ़ सकीं, लेकिन चाहती हैं कि उनके बच्चे अच्छे काॅलेज में खूब पढाई करें. चंदा देवी ने बताया कि जब से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की शुरूआत हुई है तभी से वे अपने गांव में समूह अध्यक्ष के तौर पर काम करना शुरू कर दी थीं. लेकिन पिछले 19 महीने से वे बरकी गांव के यूनियन बैंक आफ इंडिया की 'बैंक सखी' हैं. जरूरतमंदों को लोन दिलाने से लेकर गांव की सहायता समूह की महिलाओं के लगभग 80-90 खातों को देखती हैं. इससे उनकी आजीविका में मदद मिलती है और इस काम में उनके परिवार को कोई दिक्कत नहीं होती है. सभी स्पोर्ट करते हैं.
पीएम मोदी के चुनाव वाले प्रस्ताव को ठुकराने के सवाल पर आजतक से चंदा देवी ने बताया कि उनके ऊपर परिवार की काफी जिम्मेदारी है. उनकी सास की उम्र 70 साल की है जो अक्सर बीमार रहती हैं. इसके अलावा दो बच्चे और पति और पारंपरिक काम खेती बाड़ी में भी हांथ बटाना पड़ता है. इसीलिए चुनाव नहीं लड़ेंगे. परिवार से दूर रहकर कोई काम करना संभव नहीं है. परिवार से दूर नहीं हट सकते हैं. उन्होंने पीएम मोदी की तरफ से शादी समारोह में खाना परोसने वाले सुझाव की काफी सराहना भी की और बताया कि मेहनत के किसी काम में शर्म नहीं होना चाहिए.
आगे बढ़ने के सवाल पर चंदा देवी ने कहा कि वहीं काम करूंगी जो परिवार के साथ रहकर कर सकूं. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी से बात करके काफी गर्व की अनुभूति हुई. पहले थोड़ा डर और हिचक थी, लेकिन मोदी जी का व्यवहार देखकर डर और हिचक निकल गया और फिर लगभग 4-5 मिनट तक बात हुई. (रिपोर्ट/रौशन जायसवाल)
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