फसल की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए रासायनिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरक क्षमता धीरे-धीरे घटती जा रही है. जिसको रोकना अत्यंत आवश्यक है. इसी कड़ी में साल 2015 में सरकार द्वारा सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम को लॉन्च किया गया था. यह योजना की शुरुआत मिट्टी की घटती उर्वरक क्षमता को रोकने के लिए बनाई गयी है. इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार भी अपने किसानों को स्वस्थ मिट्टी दिलाने की राह पर निकल चुकी है. हरियाणा सरकार ने अपने राज्य के किसानों के लिए हर खेत-स्वस्थ खेत' अभियान की शुरुआत की है. क्या है यह अभियान और किस-किस को मिलेगा इसका लाभ आइये जानते हैं.
हर खेत-स्वस्थ खेत' अभियान के तहत प्रदेश में 4 वर्ष में 75 लाख मिट्टी के नमूने एकत्र कर जांच करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत किसानों को उनके खेतों की मिट्टी की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाया जा रहा है ताकि किसान भाई अपने खेतों से सही उपज प्राप्त कर सके. कई बार ऐसा होता है कि मिट्टी में जरूरी पोषक तत्व ना होने के कारण फसल कि उपज और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ता है. ऐसे में मिट्टी की जांच कर इसका पता पहले ही लगाया जा सकता है.
खबरों के मुताबिक हरियाणा सरकार ने मिट्टी की जांच करने का काम छात्रों को दिया है. इसका मुख्य मकसद यह है कि इन छात्रों का ध्यान इस और आकर्षित करना ताकि उनकी दिलचस्पी बढ़ सके. सरकार इस काम के लिए छात्रों को पैसे भी दे रही है जिससे रोजगार भी पैदा हो रहा है. अब छात्र खुद मिट्टी की जांच करने के प्रोफेशन से जुड़ते जा रहे हैं, आपको बता दें इस योजना में छात्रों को जोड़ने के बाद से हरियाणा में वर्ष 2022-23 में लगभग 30 लाख मिट्टी के नमूने एकत्र किए गए हैं, जो वर्ष 2015 से 2020 की तुलना में 8 गुना अधिक है. सरकार किसान सहायकों और छात्रों को मृदा परीक्षण के लिए प्रति नमूना 40 रुपये की स्टाइपेंड भी दे रही है. इस अभियान के माध्यम से प्रत्येक छात्र अपने गांव से मिट्टी के नमूने लेकर उनका परीक्षण कर कमाई कर सकते हैं.
हरियाणा सरकार का कहना है कि इस योजना से स्वरोजगार के अवसर खुलेंगे. इस योजना के तहत कोई भी किसान या इच्छुक व्यक्ति मिट्टी की जांच करने के लिए खुद की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित कर सकता है. मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने में 5 लाख रुपये तक की लागत आती है. इस कार्य के लिए सरकार आपको 3.75 लाख रुपये की सहायता देती है. साथ ही प्रदेश में एग्री बिजनेस-एग्री क्लीनिक योजना भी चलाई जा रही है. आर्थिक अनुदान के अन्तर्गत मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने में होने वाले व्यय का 60 प्रतिशत केन्द्र सरकार तथा 40 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है.
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