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बिहार के दूसरे 'दशरथ मांझी' हैं 70 साल के लौंगी भुईया, सिंचाई के लिए अकेले खोद दी 3 किमी नहर

बिहार के दूसरे 'दशरथ मांझी' हैं 70 साल के लौंगी भुईया, सिंचाई के लिए अकेले खोद दी 3 किमी नहर

लौंगी भुईया ने बताया कि वह नहर बना रहे हैं. गांव में पानी पहुंचाने के लिए ताकि गांव के लोगों को खेती में सिंचाई के लिए पानी मिल सके. पहले भी उन्होंने पहाड़ पर नहरें बनाई थीं. लेकिन अब सबको मिलाकर नहर को गांवों तक ले जा रहे हैं ताकि किसानों को भरपूर पानी मिल सके. इस नहर के निर्माण से पांच से आठ गांवों के लोगों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा.

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लोगों के लिए मिशाल बन रहे लौंगी भुईया लोगों के लिए मिशाल बन रहे लौंगी भुईया

गया जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र बांकेबाजार प्रखंड के कोठिलवा गांव निवासी 70 वर्षीय लौंगी भुईया उर्फ कैनाल मैन ने पहाड़ी जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए तीन किलोमीटर नहर खोद डाली है. उसके बाद अब पांच किलोमीटर नहर खोदना शुरू कर दिया है. यदि इस नहर की खुदाई पांच किलोमीटर तक कर दी जाए तो पंचायत के पांच गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाएगा. लौंगी भुईया उर्फ कैनाल मैन ने तीन साल पहले पांच किलोमीटर लंबी नहर खोदने का काम शुरू किया था. अब तक यह 3.5 किलोमीटर तक पहुंच चुका है.

आपको बता दें कि एक नहर खोद दी है. वहीं लौंगी भुईया उर्फ कैनाल मैन को उम्मीद है कि वह इस पांच किलोमीटर नहर की खुदाई का काम डेढ़ साल में पूरा कर लेंगे. लौंगी भुईया उर्फ कैनाल मैन प्रतिदिन सुबह अपने घर से नाश्ता करने के बाद नहर खोदने के लिए दो किलोमीटर पैदल चलकर कोठिलवा गांव स्थित पहाड़ पर जाते हैं और शाम पांच बजे तक नहर खोदने के काम में लगे रहते हैं.

कोठिलवा पहाड़ को काटकर बनाई थी नहर

बता दें कि 70 साल के लौंगी भुईया उर्फ कैनल मैन ने 2020 में कोठिलवा पहाड़ पर पहाड़ के पत्थरों को काटकर तीन किलोमीटर लंबी नहर बनाई थी. इस नहर को बनाने में उन्हें लगभग 30 साल लग गए. उस नहर को खोदने के बाद लोग लौंगी भुईया को कैनाल मैन के नाम से बुलाने लगे और जानने लगे. तीन किलोमीटर तक नहर खोदने के बाद महिंद्रा कंपनी ने लौंगी भुईया को एक ट्रैक्टर उपहार में दिया था. अब लौंगी भुईया उर्फ कैनाल मैन एक और पांच किलोमीटर लंबी नहर खोदने में जुटे हैं.

खेती में सिंचाई के लिए बना रहे नहर

लौंगी भुईया ने बताया कि गांव में पानी पहुंचाने के लिए नहर बना रहे हैं ताकि गांव के लोगों को खेती में सिंचाई के लिए पानी मिल सके. पहले भी उन्होंने पहाड़ पर नहरें बनाई थीं. लेकिन अब सबको मिलाकर नहर को गांवों तक ले जा रहे हैं ताकि किसानों को भरपूर पानी मिल सके. इस नहर के निर्माण से पांच से आठ गांवों के लोगों को सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा. इससे पहले वे पहाड़ों को काटकर तीन किलोमीटर तक नहर बना चुके हैं. इस बार वे जो नहर बना रहे हैं वह चार से पांच किलोमीटर लंबी है और इसे डेढ़ साल में तैयार करना है. उन्होंने कहा कि मन में यह विचार आया कि गांव के कई लोग बाहर कमाने जाते हैं और हमें बाहर जाकर काम करना पसंद नहीं है. इसलिए हमने गांव में पानी पहुंचाने के लिए गांव में ही नहर बनाने का काम शुरू कर दिया है.

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70 साल के हैं लौंगी भुईया

वे कहते हैं, अगर हम गांव में नहर से पानी पहुंचा दें तो गांव के लोग खुशी-खुशी हमें कुछ अनाज दे देंगे. और सभी गांव वालों से अनाज मांगकर अपने घरों में खुशी से रहेंगे. इस बार जब हम नहर खोद रहे हैं तो कुछ लोगों ने शराब पीकर मेरी खोदी हुई नहर को बर्बाद कर दिया. लेकिन दुनिया वाले कुछ भी कर लें, ये काम हम ही पूरा करेंगे. वहीं लौंगी भुईया ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं जिसमें से एक लड़का चेन्नई में नौकरी करता है और तीन लड़के हैं जो गांव में रहकर खेती और मजदूरी का काम करते हैं. हमारे घर के लड़के कहते हैं कि अब यह काम मत करो, छोड़ दो. तो हम कहते हैं कि काम पूरा करके ही छोड़ेंगे. कहा कि वह 70 साल के हैं लेकिन अब भी यह काम कर रहे हैं.

लौंगी भुईया को महिंद्रा से मिला ट्रैक्टर

लौंगी भुईया के बेटे ब्रम्हदेव ने बताया कि उनके पिता गांव के लोगों के लिए नहर खोदने का काम करते हैं ताकि पहाड़ का पानी गांव में आ सके और गांव के लोग उस पानी से अपने खेतों की सिंचाई कर सकें. उन्होंने पहले भी गांव तक नहर बनाने के लिए नहर की खुदाई की थी और अब भी कर रहे हैं ताकि पहाड़ का पानी गांव तक पहुंच सके. हम अपने पिता से कहते हैं कि यह सब काम करने से सरकार कुछ नहीं देगी और गांव के लोग भी कुछ नहीं देंगे. इस पर वे सिर्फ इतना कहते हैं कि हम नहर बनाने का काम करेंगे और हमें छोड़कर पहाड़ों में नहर बनाने चले जाते हैं.

ब्रह्मदेव कहते हैं, सुबह 9 बजे खाना खाकर पापा पहाड़ों में नहर बनाने के काम पर निकल जाते हैं. शाम को 5 बजे घर लौट आते हैं. पहले जब पहाड़ पर तीन किलोमीटर तक नहर बनी थी तो महिंद्रा कंपनी की ओर से ट्रैक्टर दिया गया था और कुछ लोगों ने पैसे भी दिए थे. और अगर इस नहर से पानी मिलना शुरू हो गया तो चार-पांच गांवों को ये फायदा होगा. वो पहाड़ के इस पानी का इस्तेमाल अपने खेतों में सिंचाई के लिए कर सकेंगे.

जंगली इलाका है कोठिलवा गांव

इसी गांव के सरकारी स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि कोठिलवा गांव जंगली इलाका है. गांव के चारों तरफ पहाड़ है और गांव पहाड़ों से घिरा हुआ है. इस गांव के 70 साल के लौंगी भुईया हैं जो इस गांव के लिए अद्भुत काम कर रहे हैं. पहाड़ का बारिश का पानी 30 साल से बर्बाद हो रहा था. उस पानी को रोकने का प्रयास किया गया और पहाड़ पर पांच किलोमीटर तक नहर खोदने का काम किया गया. 1990 से वह लगातार पहाड़ों से लेकर गांवों तक नहरें बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने पहाड़ की जमीन पर 6 से 7 छोटे-छोटे चेक डैम बनाए और पहाड़ के पानी का भंडारण कर रहे हैं. वे उस नहर से आगे नहरें बना रहे हैं जो उन्होंने पहले भी बनाई थी. अब फिर से उन्होंने दो-तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदी है और उनके द्वारा बनाई जा रही नहर से कई गांवों को फायदा होगा.

मंत्री ने की लौंगी भुईया की तारीफ

बिहार के एससीएसटी मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने कहा कि लौंगी भुईया हमारे समाज के आदर्श व्यक्ति हैं. जिस तरह दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था, उसी तरह लौंगी भुईया भी गांव के किसानों के लिए खास तौर पर खेतों की सिंचाई के लिए नहर बना रहे हैं. ये पहले भी बनते थे और अब भी बन रहे हैं. वह जिस तरह का काम कर रहे हैं वह एक उदाहरण है. वह इसी समाज से आते हैं, यह मेहनतकश समाज है. उन्होंने अद्भुत साहस का परिचय दिया है और आपने इसे देखा है. हम भी जाकर देखेंगे और जो भी सहयोग हो सकेगा देंगे.(पंकज कुमार की रिपोर्ट)