सोमवार को राजस्थान के जोधपुर से 600 किलो देसी घी अयोध्या भेजा गया. यह घी 108 स्टील के कलश में भेजा गया है. इसे 11 रथों में रवाना किया गया है. बैलगाड़ियों को रथ का रूप दिया गया है. रथों को रवाना करने से पहले सभी कलशों की आरती की गई. जोधपुर स्थित श्रीश्री महर्षि सांदीपनि रामधर्म गौशाला के संचालक महर्षि सांदीपनि महाराज ने कहा कि 22 जनवरी 2024 को रामलला राम मंदिर में विराजमान होंगे.
अयोध्या में रामलला की आरती और हवन के लिए गौशाला में तैयार शुद्ध देसी घी अयोध्या भेजा गया है. उन्होंने बताया कि रथ के कुछ किलोमीटर चलने के बाद बैलों और रथों को ट्रक में स्थानांतरित कर दिया गया. वहां से ट्रक लखनऊ पहुंचेंगे और घी को फिर से रथों में रखकर अयोध्या ले जाया जाएगा. उन्होंने बताया कि करीब दो दशक पहले गौशाला में संकल्प लिया गया था कि जब भी अयोध्या में राम मंदिर बनेगा तो यहां से शुद्ध देसी घी भेजा जाएगा. अब यह संकल्प पूरा होने जा रहा है.
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इस घी को अयोध्या ले जाने के लिए 108 रथों में 216 बैल जोते जाएंगे. इसके लिए बैलगाड़ियों में रथ तैयार किया जा रहे हैं. सारी तैयारियां जोरों पर है. बताया जा रहा है कि 27 नवंबर को यह घृत यात्रा शुरू हुई थी. जो करीब 10 हजारों गांवों से होकर निकली. प्रत्येक गांव में यात्रा जाने से पहले सूचित कर दिया जाएगा. प्रयास रहेगा कि प्रत्येक घर से एक मुट्ठी हवन सामग्री एकत्रित की जाएगी. इस घृत यात्रा में 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
गाय के घी को शुभ माना जाता है. इसे जलाने से नकारात्मकता और वास्तु दोष दूर हो जाते हैं. प्रतिदिन घर में घी का दीपक जलाने से सुख, शांति और समृद्धि आती है. इससे वातावरण भी शुद्ध होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक घी के तेल से बने दीपकों का वर्णन मिलता है. घी का दीपक जलाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और वास्तु दोष दूर होते हैं. आर्थिक लाभ होता है. वहीं घी के दीपक देवी-देवताओं को समर्पित किए जाते हैं, जबकि तेल के दीपक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जलाए जाते हैं. ऐसे में अक्सर आरती और हवन में गाय के घी का इस्तेमाल किया जाता है.
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