
राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय और कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा), कृषि विभाग, बीकानेर के संयुक्त तत्वावधान में “उन्नत गोपालन और गोबर-गोमूत्र प्रसंस्करण“ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन रविवार 26 मार्च 2023 को हुआ. प्रशिक्षण में नोखा के 30 पशुपालक शामिल हुए. प्रशिक्षण समापन पर प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. राजेश कुमार धूड़िया ने कहा कि प्रदेश के लघु और सीमान्त पशुपालकों के दूध उत्पादन में सक्रिय योगदान से राजस्थान आज देश में कुल 15 प्रतिशत दूध उत्पादन से प्रथम स्थान पर आ गया है.
उन्होंने कहा कि यदि पशुपालक दूध उत्पादन के साथ-साथ गोबर-गौमूत्र की उपयोगिता भी समझे तो उनकी दैनिक आय में और अधिक वृद्धि हो सकती है. समापन के अवसर पर प्रो. एपी सिंह, अधिष्ठाता वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर ने भी प्रतिभागियों को सम्बोधित किया और पुरस्कार प्रदान किये.
इस प्रशिक्षण में डॉ. दीपिका धूड़िया, डॉ. राजेश नेहरा, डॉ. मनोहर सैन, डॉ. प्रमोद धतरवाल, डॉ. अमित चौधरी, डॉ. सीताराम और दिनेश आचार्य द्वारा डेयरी पशुओं में मुख्य बीमारियों और रोकथाम, पशु आहार प्रबंधन, पशु आवास प्रबंधन, गौमूत्र का कीटनाशक के रूप में प्रसंस्करण, जैविक खेती, पशुओं में प्रजनन संबंधी रोग और उपचार, वर्मी कंपोस्ट और वर्मी वाश बनाने की विधिया और उपयोगिता आदि विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गये.
कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी श्रीराम विश्नोई भी उपस्थित रहे. इस अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तरी में कंचन को प्रथम, जेठुसिंह को द्वितीय और पुरखाराम को तृतीय पुरस्कार और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए गये. प्रशिक्षण के समन्वयक डॉ. मनोहर सैन रहें.
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