दुनिया भर में हुए शोधों में पता चला है कि मनुष्य के कई बीमारियों के लिए कुछ हद केमिकल कीटनाशक जिम्मेदार हैं, जिसके चलते कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग पर लगाम लगाने की कोशिशें तेज हुई हैं. इसके बाद कृषि वैज्ञानिकों ने बिना केमिकल कीटों का कैसे रोकथाम हो, इसके लिए कई तकनीकें खोजीं, जिसमें एक नई तकनीक है स्टिकी ट्रैप. दरअसल पतली सी स्टिकी ट्रैप, हानिकारक कीटों से फसलों की बिना किसी रसायन के इस्तेमाल किए हानिकारक कीटों से सुरक्षित रख सकते हैं. ये तकनीक सब्जी फसलों और बागवानी में काफी सफल हैं.
फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कीट किसी न किसी विशेष रंग की ओर आकर्षित होते हैं. इससे कीट रंग से आकर्षित होकर इस शीट पर चिपक जाते हैं और मर जाते हैं. स्टिकी ट्रैप का उपयोग करने से केमिकल कीटनाशकों पर लगने वाली लागत लगभग 65 से 70 फीसदी तक कम हो जाती है. स्टिकी ट्रैप का उपयोग सब्जी फसलों, बागवानी, किचन गार्डन, पॉली हाउस की खेती, ग्रीन हाउस की खेती में काफी कारगर है. इसका प्रयोग कर केमिकल कीटनाशकों से होने वाले दिक्कतों से बचा जा सकता है.
कृषि विज्ञान केन्द्र नरकटियागंज पश्चिम चम्पारण बिहार पादप सुरक्षा विशेषज्ञ और हेड डाॅ. आर. पी. सिंह ने किसान तक से बातचीत में कहा कि पीले रंग के स्टिकी ट्रैप का उपयोग आमतौर पर सफेद मक्खी, पत्ती खाने वाले कीट, एफिड्स, थ्रिप्स, फल मक्खी, लीफ हॉपर और लीफ माइनर्स जैसे उड़ने वाले कीटों को फंसाने के लिए किया जाता हैं, चूंकि पराग खाने के लिए कीट अक्सर पीले फूलों की ओर आकर्षित होते हैं, यही कारण है कि कुछ कीड़े पीले रंग की ओर आकर्षित होते हैं औरस्टिकी ट्रैप जाल में फंस जाते हैं इस स्टिकी ट्रैप का उपयोग घरेलू पौधों, सब्जियों, फलों, फूलों, सरसों आदि में कीट नियंत्रण के लिए किया जा सकता है.
डॉ. आर. पी. सिंह ने बताया कि नीले रंग के स्टिकी ट्रैप का उपयोग उड़ने वाले कीटो लीफहॉपर्स, ककड़ी बीटल और मक्खियों को फंसाने के लिए भी किया जाता है. हालांकि ये नीले रंग के स्टिकी ट्रैप इन कीटों को पकड़ने में अधिक प्रभावी हैं. नीला रंग विशेष रूप से थ्रिप्स जैसे कीटों को नियंत्रित करने में प्रभावी है जो फूलों और सब्जियों को नुकसान पहुंचाते हैं और उनका रस चूसते हैं .
पौध सुरक्षा विशेषज्ञ के अनुसार सफेद रंग के स्टिकी ट्रैप का उपयोग पिस्सू बीटल, बग कीट, लाल घुन, थ्रिप्स, अन्य उड़ने वाले और रस-चूसने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. ये कीट आमतौर पर फलों और सब्जियों में होते हैं. ब्लैक स्टिकी ट्रैप इस काले चिपचिपे जाल का उपयोग घरेलू बगीचों में टमाटर पिनवॉर्म, व्हाइट फ्लाइज़, एफिड्स, फल मक्खियों, थ्रिप्स आदि जैसे कीटों को आकर्षित करने और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. इसका उपयोग मुख्य रूप से टमाटर में कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
स्टिकी ट्रैप लीफहॉपर्स, स्पाइडर माइट्स, ब्रॉड माइट्स, गॉल मिडज को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. इनका उपयोग अक्सर ग्रीनहाउस और इनडोर बगीचों में किया जाता है.किसी भी फसल में एक एकड़ 10 से 15 स्टिकी ट्रेप का प्रयोग किया जाता है
डॉ आर.पी सिंह का कहना है कि किसान बाजार में मिलने वाले स्टिकी ट्रैप का इस्तेमाल कीट नियंत्रण के लिए कर सकते हैं . लेकिन अगर आप इसे अपने घर पर बनाना चाहते हैं, तो रंगीन पॉलीथीन शीट पर रेड़ी का तेल या फिर मोबिल का तेल लगाकर ट्रैप को तैयार कर सकते हैं. जरूरत के हिसाव से पीला, नीला, काला, सफेद और लाल स्टिकी ट्रैप बनाने में 15-20 रुपए का खर्च आता है. स्ट्रिकी ट्रेप का प्रयोग फसलो, सब्जी फसलों फल बागवानी में इस्तेमाल कर हानिकारक कीटों से सुऱक्षा से कर सकते हैं. बाजार में अलग-अलग कंपनियों के हिसाब से इसकी कीमतें अलग-अलग हैं. बाजार में 10 पीस के एक पैकेट की कीमत 250 रुपये और 25 पीस के एक पैकेट की कीमत 500 रुपये तक होती है. यह ऑनलाइन भी उपलब्ध है, जिसे किसान खरीदकर अपने काम में ले सकते हैं.
स्टिकी ट्रेप ऐसी जगह लगाएं जिससे कीट अधिक से अधिक की एकत्र होकर नष्ट हो जाएं .टैब को लगाने से पहले हाथ साबुन से धोएं, जिससे तंबाकू या दूसरे रसायनों की गंध इसे प्रभावित न करें. इस टिकट रेप को 20 से 25 दिन बाद बदल दें ध्यान रहे फसल की ऊंचाई से 1 से 2 फीट ऊपर लगाएं. फसलों को कीट से बचाने के लिए स्ट्रिकी ट्रेप तकनीक कम लागत बेहतर तकनीक है.
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