पद्म भूषण से सम्मानित श्री रामचंद्र मिशन के अध्यक्ष, हार्टफुलनेस ध्यान के आध्यात्मिक मार्गदर्शक और हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट के संस्थापक कमलेश डी पटेल (दाजी) ने बीते दिन कृषि वैज्ञानिकों को तनाव मुक्त किया. उन्होंने पूसा परिसर स्थित एनएएससी परिसर पर कृषि वैज्ञानिकों के साथ हार्टफुलनेस ध्यान किया साथ ही उनसे चर्चा की. इस दौरान केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ ही कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, डेयर सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, उप महानिदेशक, (कृषि शिक्षा) डॉ. आरसी अग्रवाल तथा हार्टफुलनेस ध्यान से जुड़े संजय सहगल समेत आईसीएआर व कृषि मंत्रालय के अधिकारीगण एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे.
कार्यक्रम में दाजी ने कहा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो विश्व की आध्यात्मिक नींव को परिपूर्ण और निर्मित कर सकता है. अध्यात्म के बिना कोई भी देश जीवित नहीं रह सकता. हमारे ऋषियों ने अनुभव किया था कि कण-कण में देवत्व का वास है. उन्होंने कहा कि धर्म व अध्यात्म में बहुत बड़ा अंतर है. धर्म में हम ईश्वर को अपने हृदय से निकाल देते हैं,इसलिए लोग ध्यान नहीं करते क्योंकि उनका विवेक उन्हें चुभता है. इसीलिए लोग ध्यान के दौरान परेशान हो जाते हैं. रोकथाम इलाज से बेहतर है.
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उन्होंने कहा कि ध्यान आईने के सामने खड़े हो जाने जैसा है, जिसमें व्यक्ति का स्पष्ट चित्र प्रदर्शित होता है. दाजी ने आगे कहा कि भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हर कोई सुख चाहता है, लेकिन जिसके मन में शांति नहीं, वहां सुख कहां से मिलेगा, इसलिए ध्यान करें. ध्यान के माध्यम से पवित्रता द्वारा हमारे हृदय में सद्भाव लाना है. एक केंद्रित मन अखंडता लाएगा, ध्यान चमत्कार करता है, लेकिन ज्यादातर लोग नहीं जानते कि यह क्या है. ध्यान के दौरान मन हमेशा विचारों में डूबा रहता है, जबकि ध्यान ईश्वर प्राप्ति के लिए होता है.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि दाजी वो शख्सियत है, जिन्हें हम अध्यात्म व विज्ञान का अग्रदूत कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, ऐसे महान साधक को अपने बीच पाकर कृषि बिरादरी धन्य है. तोमर ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के विकास में भौतिक अधोसंरचना का तो महत्व होता ही है, लेकिन समुच्य विचार करते हुए शरीर के साथ मन, बुद्धि, आत्मा को अच्छी तरह से एकीकृत करके समग्र विकास की कल्पना को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. संसार में सभी लोग सुख व प्रसन्नता की खोज में है, लेकिन इन्हें प्राप्त के लिए जिन विधियों को अपनाया जाता है, वे अंतहीन है, इन्हें प्राप्त करना है तो कर्म के साथ अध्यात्म का पथ बहुत महत्वपूर्ण है.
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि दाजी में हम अध्यात्म व कर्म दोनों का समुच्य देख सकते हैं. उनका मार्गदर्शन, जीवनचर्या, दूरगामी सोच, प्रकृति से प्रेम और वसुंधरा के प्रति समर्पण, इन सबके प्रकाश में मार्ग खोजकर चलने का प्रयत्न करेंगे तो परम लक्ष्य की प्राप्ति के नजदीक तो पहुंच ही सकते हैं. श्री तोमर ने कहा कि दाजी को हाल ही में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है और भी अनेक पुरस्कार उन्हें पूर्व में मिले हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ऐसी ही प्रतिभाओं को, प्रगतिशील किसानों को पूरा सम्मान दे रही है.
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