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Natural Farming: इस राज्य के तीन लाख किसानों को हर महीने मिलेगी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग, रोडमैप तैयार

Natural Farming: इस राज्य के तीन लाख किसानों को हर महीने मिलेगी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग, रोडमैप तैयार

गुजरात सरकार सूबे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है. वहीं इसके लिए रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है. रोडमैप के अनुसार हर महीने तीन लाख किसानों को ट्रेनिंग मिलेगी.

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गुजरात के तीन लाख किसानों को हर महीने मिलेगी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग गुजरात के तीन लाख किसानों को हर महीने मिलेगी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग

प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है. यह खेती भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है. वहीं प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है. इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में काम में लिया जाता है. यही वजह है कि केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकारें भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हैं. इसी क्रम में गुजरात सरकार भी सूबे में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है. दरअसल, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सोमवार को कामधेनु विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह के दौरान घोषणा की कि पिछले चार वर्षों में प्रशिक्षित छह लाख किसानों के मुकाबले हर महीने तीन लाख किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है.

अपने संबोधन में कुलाधिपति एवं राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और राज्य सरकार के प्रयासों से बड़ी संख्या में किसान प्राकृतिक खेती की ओर रुख कर रहे हैं.

हर महीने तीन लाख किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग 

दरअसल, राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा, “राज्य सरकार द्वारा अपनाए गए प्रशिक्षण के नए मॉडल से हर महीने तीन लाख किसानों को प्राकृतिक खेती की दिया जा रहा है. वहीं पिछले चार वर्षों में, गुजरात में लगभग छह लाख किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है."

मवेशियों की औसत दुग्ध उत्पादन क्षमता 3.5 लीटर 

राज्यपाल ने छात्रों को देश की दुग्ध उपज बढ़ाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा, “देश में मवेशियों की औसत दुग्ध उत्पादन क्षमता साढ़े तीन लीटर है. इस औसत के साथ भी भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में अग्रणी है. यदि छात्र मवेशियों की नस्ल सुधारने की दिशा में काम करते हैं ताकि औसत दूध उत्पादन 10 लीटर तक बढ़ जाए, तो कोई भी हमारे देश की प्रगति की कल्पना नहीं कर सकता है.

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उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं और गुजरात में इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है, क्योंकि यह तकनीक प्राकृतिक कृषि और दुग्ध उत्पादन के विकास के लिए बहुत उपयोगी है.

पशुओं के लिए मोबाइल वैन सेवा की शुरुआत

इस दौरान पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने भी छात्रों से भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी उद्योग के योगदान को बढ़ाने की अपील की. उन्होंने कहा, “देशभर में 108 एंबुलेंस सेवाओं की तरह पशुओं के इलाज के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां शुरू की गई हैं, जिससे पशुपालकों को उनके घर पर ही इलाज की सुविधा मिलेगी. पहले चरण में, 4,000 मोबाइल पशु चिकित्सा एंबुलेंस स्वीकृत किए गए हैं और पूरे देश के पशुओं के टीकाकरण के लिए 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.”

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गुजरात के पशुपालन और मवेशी प्रजनन मंत्री राघवजी पटेल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के आर्थिक विकास में पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन का महत्व बहुत अधिक है.