राष्ट्रीय जैविक नीति में सुधार करेगी सरकार, आम लोगों तक सही प्रोडक्ट पहुंचाने पर जोर

राष्ट्रीय जैविक नीति में सुधार करेगी सरकार, आम लोगों तक सही प्रोडक्ट पहुंचाने पर जोर

ऑर्गेनिक खेती में कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं ताकि उपभोगताओं तक सही और सुरक्षित उत्पाद पहुंच सके. ऐसे में वाणिज्य मंत्रालय ने बताया है कि भारत के राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) की नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार किया जाएगा.

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राष्ट्रीय जैविक नीति में सुधार करेगी सरकार, आम लोगों तक सही प्रोडक्ट पहुंचाने पर जोरऑर्गेनिक खेती में संशोधन के लिए पैनल का होगा गठन

भारत में जैविक खेती के नाम पर रासायनिक खेती का काम लंबे समय से होता आ रहा है. इतना ही नहीं, ऑर्गेनिक फूड की जगह लोग रासायनिक खाद की मदद से उपजाई गई फसलों को खाते आ रहे हैं. इसका बुरा असर सेहत के साथ-साथ पर्यावरण पर भी दिखने लगा है. ऐसे में ऑर्गेनिक खेती में कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं ताकि उपभोगताओं तक सही और सुरक्षित उत्पाद पहुंच सके. ऐसे में वाणिज्य मंत्रालय ने चेन्नई स्थित एक संगठन को बताया है कि भारत के राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) की नीतियों और प्रक्रियाओं में सुधार किया जाएगा और इसमें निगरानी प्रणाली को मजबूत करने के उपाय शामिल होंगे.

मंत्रालय ने स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट (एसएसवीटी) को बताया कि राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (NAB) के निर्देशों के अनुसार, एनपीओपी नीति और प्रक्रियाओं में संशोधन के लिए एक समिति का गठन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट सहित हितधारकों से प्राप्त सुझावों को विचार के लिए समिति के सामने रखा जाएगा.

यूरोपीय आयोग ने बताई जैविक खेती की कमियां

मंत्रालय ने आठ जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एसएसवीटी के एक पत्र का जवाब देते हुए कहा, "जैविक प्रवर्तन प्रणाली में सुधार के लिए एक ईमानदार आत्मनिरीक्षण" की मांग की गई थी. एसएसवीटी ने कहा कि यूरोपीय आयोग के हालिया ऑडिट में 2001 में शुरू किए गए एनपीओपी को सर्वोत्तम नीति और प्रक्रियात्मक दस्तावेजों में से एक के रूप में रेखांकित किया गया है.

एसएसवीटी ने कहा यह भी सच है कि यूरोपीय आयोग के ऑडिट में हमारे जैविक कृषि में प्रवर्तन में खामियों का हवाला दिया गया है. हमारे ट्रस्ट ने 5 जनवरी, 07 फरवरी और 08 अप्रैल को पत्र लिखकर भारत के हितों की रक्षा के दृष्टिकोण से कई नुकसानों पर प्रकाश डाला. एसएसवीटी ने नियमों के बार-बार उल्लंघन को देखते हुए उचित परिश्रम की आवश्यकता पर बल दिया, जबकि कुछ निकाय जैविक कृषि प्रमाणपत्रों पर खड़ा नहीं उतर रहा था.

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सिस्टम को मजबूत बनाने की मांग

जैविक उपज उगाने को लेकर वाणिज्य मंत्रालय के वर्मा ने कहा कि कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) प्रणाली को और मजबूत करने के लिए आधार, भूमि दस्तावेजों को ऑनलाइन प्रणाली में जोड़ने के प्रावधान कर रहा है.

जैविक निर्यात में एपीडा की भूमिका महत्वपूर्ण

एसएसवीटी ने कहा कि एनएबी की निर्णय लेने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में सचिवालय और मूल्यांकन समिति के रूप में जैविक निर्यात के लिए नोडल एजेंसी एपीडा की भूमिका महत्वपूर्ण है. इसमें कहा गया है, "36 मूल्यांकन समिति के सदस्यों में से, यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि 10 सदस्य एपीडा और कमोडिटी बोर्ड के हों." हालांकि, मंत्री ने कहा है कि जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है.

इस साल फरवरी में, मंत्रालय ने कहा कि वह भारतीय निर्यात को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों के तहत जैविक कपास और उसके डेरिवेटिव के लिए एक नई प्रमाणन प्रणाली लाने की योजना बना रहा है. जैविक उत्पादों के शिपमेंट में विदेशों, विशेषकर यूरोपीय संघ से रिपोर्ट की जा रही विभिन्न कमियों के मद्देनजर भारतीय जैविक निर्यात दबाव में है.


 
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