मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय किसान मजदूर संघ के एक बड़े किसान आंदोलन ने सरकार की नींद उड़ा दी है. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर नर्मदापुरम और रायसेन जिले के सैकड़ों किसान इस आंदोलन में भाग लेने भोपाल राजधानी तक पदयात्रा पर निकले हैं. बीते दिनों से नरसिंहपुर जिले से शुरू हुए किसान मार्च का पड़ाव आज रायसेन जिले के बरेली पहुंचा. इस बड़े किसान आंदोलन की भनक लगते ही सरकार ने इन किसानों की समस्याओं को सुनने और इनसे तालमेल बनाने के लिए पहुंची. मध्य प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल को बरेली आंदोलित किसानों से वार्ता करने के लिए भेजा गया. जहां आज शाम बरेली पहुंच कर कृषि मंत्री कमल पटेल सरकार की तमाम योजनाओं को गिनाते हुए अपने नाम तक का अर्थ किसानो को समझाते नजर आए.
लेकिन उनकी बात का आंदोलित किसानों पर कोई असर नहीं हुआ. हद तो तब हो गई जब नाराज किसानों ने मंत्री के सामने ही नाराजगी जाहिर करते हुए आंदोलन का रूख भोपाल राजधानी की ओर चलने का इशारा करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी. इसके बाद कृषि मंत्री भोपाल रवाना हो गए.
इधर किसान नेताओं ने आज की वार्ता को विफल बताते हुए किसान कर्ज माफी की मांग करते हुए भोपाल राजधानी और जरूरत पड़ने पर दिल्ली तक ले जाने की बात कही. आपको बता दें यात्रा में 4-5 हजार किसान चल रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार की कृषि मंत्री किसानों को कमल नाम का अर्थ बताते नजर आए. कमाल पटेल यहां किसानों की समस्याओं को सुनकर उसका हल और रास्ता निकालने के लिए आये थे. लेकिन उन्होंने दो सरकार की तमाम योजनाओं को गिनाते हुए जमकर किसानों के बीच भाषण बाजी की.
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किसान नेताओं ने बताया कि उनकी 22 सूत्री मांगों को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है जिसमें मुख्य मांग कर्ज माफी है. किसान नेताओं ने बताया कि कृषि मंत्री मंच से कह गए की हमने 85 लाख किसानों के कर्ज माफ किए हैं. इसके बाद वह खुशहाली की जीवन व्यतीत कर रहे हैं. लेकिन जब मीडिया ने किसानों से बात की तो हकीकत इसके बिलकुल विपरीत थी. किसानों ने कहा कि हमारा कर्ज माफ ही नहीं हुआ है.
शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा हैं और किसान जिन 22 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहे हैं कृषि मंत्री कमल पटेल ने उन विषयों पर कोई बात नहीं कि. वह सरकार की योजनाओं को गिनाते रहे जिससे नाराज किसानों ने कृषि मंत्री कमल पटेल के सामने ही नारेबाजी शुरू कर दी और भोपाल चलो के नारे लगा दिए. साथ ही किसानों ने यह भी कहा की जरूरत पड़ने पर हम दिल्ली तक भी जाने के लिए तैयार हैं. जिससे यह वार्ता विफल रही और मंत्री को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा. (एमपी से राजेश रजक रायसेन की रिपोर्ट)
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