Mann Ki Baat: ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 103वां एपिसोड आज, पिछली बार PM ने किया था इस जंगल का जिक्र

Mann Ki Baat: ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 103वां एपिसोड आज, पिछली बार PM ने किया था इस जंगल का जिक्र

Mann Ki Baat: पीएम नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' का आज 103वां एपिसोड है. मन की बात के 100वें एपिसोड से पहले कराए गए आईआईएम के सर्वे में पाया गया कि मन की बात 100 करोड़ श्रोताओं तक पहुंच गई है. इस कार्यक्रम को 23 करोड़ लोगों ने नियमित रूप से सुना है. वहीं आज पीएम मोदी कई मुद्दों पर करेंगे चर्चा-

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Mann Ki Baat: ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 103वां एपिसोड आज, पिछली बार PM ने किया था इस जंगल का जिक्रपीएम मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 103वां एपिसोड आज

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 30 जुलाई को एक बार फिर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित करने वाले हैं. मालूम हो कि पीएम मोदी की मन की बात कार्यक्रम का यह 103वां एपिसोड है. सुबह 11 बजे प्रोग्राम को टेलीकास्ट किया जाएगा. 18 जून को ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 102 एपिसोड टेलीकास्ट किया गया था. वहीं, अप्रैल में 100वां एपिसोड टेलीकास्ट किया गया था. गौरतलब है कि मन की बात के 100वें एपिसोड से पहले कराए गए आईआईएम के सर्वे में पाया गया कि मन की बात 100 करोड़ श्रोताओं तक पहुंच गई है. इस कार्यक्रम को 23 करोड़ लोगों ने नियमित रूप से सुना है. जबकि इसके बारे में देश के 98 फीसद लोग जानते हैं. यह कार्यक्रम पूरी तरह से गैर-राजनीतिक होता है. वहीं आज पीएम मोदी कई मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं-

भाजपा किसान मोर्चा ने 'मन की बात' सुनने की तैयारी

पीएम मोदी की मन की बात कार्यक्रम के 103वें एपिसोड को किसानों के साथ सुनने की तैयारी भाजपा किसान मोर्चा ने पहले से ही कर लिया है. दरअसल, शनिवार को बीजेपी किसान मोर्चा ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजकुमार चहार के हवाले से ट्वीट कर कहा, 'मन की बात' सुनेंगे कल किसानों के साथ!

मियावाकी तकनीक से बनाए गए जंगल का जिक्र

मन की बात के आखिरी एपिसोड में पीएम मोदी ने मियावाकी तकनीक से छोटी सी जगह में बनाए गए जंगल का जिक्र किया था. पीएम मोदी ने देशवासियो को संबोधित करते हुए कहा था कि मेरे प्यारे देशवासियों, हम भारतवासियों का स्वभाव होता है कि हम हमेशा नए विचारों के स्वागत के लिए तैयार रहते हैं. हम अपनी चीज़ों से प्रेम करते हैं और नई चीज़ों को आत्मसात भी करते हैं. इसी का एक उदाहरण है - जापान की तकनीक मियावाकी, अगर किसी जगह की मिट्टी उपजाऊ नहीं रही हो, तो मियावाकी तकनीक, उस क्षेत्र को, फिर से हरा-भरा करने का बहुत अच्छा तरीका होती है. मियावाकी जंगल तेजी से फैलते हैं और दो-तीन दशक में जैव विविधता का केंद्र बन जाते हैं. अब इसका प्रसार बहुत तेजी से भारत के भी अलग-अलग हिस्सों में हो रहा है.

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