मिथिला की पहचान मखाना को ना सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश-विदेश में बढ़ाने की मंशा से बिहार सरकार ने एक अहम कदम उठाया है. आपको बता दें मखाना की खेती कर रहे किसानों की आय को बढ़ाने के लिए बिहार सरकार एक बार फिर पटना के ज्ञान भवन में मखाना दिवस का आयोजन किया जा रहा है. आपको बता दें कृषि विभाग की ओर से ज्ञान भवन में 03-04 अगस्त, 2024 को दो दिवसीय राष्ट्रीय समारोह मखाना महोत्सव आयोजित किया जाएगा.
बिहार में मखाना की खेती कर रहे किसानों का मानना है कि धान-गेहूं की तुलना में मखाना की खेती से उन्हें दो से तीन गुना अधिक आय हो रही है. अनुसंधान से मखाना की खेती काफी सहज और सरल हुई है. ऐसे में इन किसानों के मनोबल को और बढ़ाने के लिए इस समारोह का आयोजन किया जा रहा है.
महोत्सव में देश-प्रदेश के प्रगतिशील किसान और मखाना उत्पादक कंपनियों, प्रमुख निर्यातकों, व्यापारियों, वैज्ञानिकों आदि को आमंत्रित किया गया है. यहां मखाना की खेती के बारे में उन किसानों को जानकारी दी जाएगी, जिन्होंने अभी तक इसकी खेती को पूरी तरह से नहीं अपनाया है. साथ ही किसानों को मखाना की खेती के फायदे के बारे में भी बताया जाएगा.
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बिहार में मखाना उत्पादन भारत के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत है. मखाना का उत्पादन मुख्य रूप से बिहार के दरभंगा, मधुबनी, मधेपुरा, फारविसगंज, सीतामढी, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, सुपौल, अररिया, किशनगंज, बेगुसराय, शिवहर में होता है. बिहार में मखाना का कुल उत्पादन क्षेत्र लगभग 10,000 एकड़ है. राज्य सरकार एवं मखाना अनुसंधान संस्थान की पहल का परिणाम है कि वित्तीय वर्ष 2012-13 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 में मखाना के रकबा में 171 प्रतिशत और मखाना उत्पादन में 152 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. मखाना की खेती में प्रति हेक्टेयर लगभग 25 हजार रुपए की लागत आती है. मखाना तैयार कर बेचने पर प्रति हेक्टेयर लगभग 70,000 (सत्तर हजार) का मुनाफा होता है.
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