महाराष्ट्र राज्य में इस साल मानसून समय पर होने की बात को मौसम विभाग के विशेषज्ञों ने कहा है. लगभग 11 जून तक मानसून मुंबई में दस्तक देने की आशंका भी जताई जा रही है. जिसके चलते राज्य के किसानों द्वारा बुवाई करने के लिए सोयाबीन, तुअर ,ज्वार इन खरीफ फसलों के बीजों की खरीदारी कृषि सेवा केंद्र की दुकानों से की जा रही है. वहीं लातूर जिले में भी खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारी किसानों ने शुरू कर दी है जिलें के लकभग 6 लाख 12 हजार 421 हेक्टर क्षेत्र में इस साल खरीफ फसलों की बुवाई होगी जिसमें से लगभग 3 लाख 94 हजार हेक्टर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल ली जाएगी जो खरीफ फसलों की होने वाली बुवाई के 65 % क्षेत्र है. इन आंकड़ों को देखते हुए जिले में सोयाबीन की फसल सबसे बड़े पैमाने पर लिए जाने के कारण सोयाबीन के उत्पादन में किसानों को बढ़ोतरी मिलने के लिए लातूर कृषि विभाग की ओर से सोयाबीन की बुवाई को लेकर सूचनाएं दी की गई है.
लातूर जिले में सोयाबीन का क्षेत्र अधिक होने के कारण लातूर के जिला कृषि अधिकारी दत्तात्रय गावसाने ने सोयाबीन के उत्पादन में ज्यादा बढ़ोतरी मिलने के लिए जिले के किसानों को आह्वान करते हुए कहा है कि जिले में कुछ दिनों में ही मानसून आने वाला है जिसके चलते किसानों की ओर से सोयाबीन की बुवाई के लिए दुकानों से बीज की खरीदारी की जा रही है. लेकिन किसानों को सोयाबीन के बीज की खरीदारी करते समय अपने खेत का दर्जा देखते हुए सोयाबीन के बीज की खरीदारी करनी चाहिए. जिन किसानों के खेतों का दर्जा अच्छा है और उनके पास लंबे समय तक की पानी की व्यवस्था है ऐसे किसान 726 इस किस्म के सोयाबीन बीज की खरीदारी करें. इसके साथ ही बीज खरीदारी करते समय जो कंपनियां प्रमाणित है उन्हीं कंपनियों का बीज किसान खरीद ले, बैग से बीज निकालते समय उसे नीचे की तरफ से ही निकाले, बैग के साथ आए हुए सभी टैग को जमा कर के रखे इसके साथ ही सबसे जरूरी सोयाबीन के बीज की उपज क्षमता जांच करके ही उसकी बुवाई करें. जिन कंपनियों के बीजों की क्षमता 70 % से ज्यादा है ऐसे ही सोयाबीन के बीज की बुवाई करें ,अगर 70 % से कम उपज क्षमता हो तो ऐसे वक्त बुवाई करते समय बीज की मात्रा बढ़ाएं.
इसके साथ आगे उन्होंने यह भी कहा है कि जिन किसानों ने पिछले साल सोयाबीन का प्रमाणित बीज खरीद कर बुवाई
की थी और इस साल भी उसी से निकले हुए सोयाबीन के बीच की बुवाई करना चाहते हैं वो ऐसे बीज की उपज क्षमता जांच करके अगले 3 साल तक बुवाई कर सकते है.
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सोयाबीन के साथ खाद का उपयोग किस तरह से किया जाता है इसके बारे में जानकारी देते हुए दत्तात्रेय गावसने कहा कि सोयाबीन फसल में उत्पादन बढ़े इसलिए सभी किसान खाद का उपयोग करते हैं ज्यादातर किसान डीएपी खाद का इस्तेमाल करतें है जिसके कारण खरीफ फसलों की बुवाई के मौसम में हमेशा ही डीएपी खाद की कमी होता है इसीलिए किसानों को इसके अलावा नैनो यूरिया और नैनो डीएपी की आधा लीटर की बोतल जो मार्केट में आसानी से मिल रही है जिससे डीएपी के खाद इतने ही पोषणद्रव्य फसलों को मिलते हैं इन खाद भी इस्तमाल करें जिससे सोयाबीन की उपज बढ़ सके.
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