KVK तापी ने प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को किया जागरूक

KVK तापी ने प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को किया जागरूक

देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के अलावा सभी राज्य सरकारें भी लगातार प्रयास कर रही हैं. इसके अलावा किसान प्राकृतिक खेती कैसे करें इसको लेकर सरकारें विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर प्रशिक्षण भी दे रही हैं. 

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KVK तापी ने प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को किया जागरूककेवीके तापी ने किसानों को किया जागरूक

देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के अलावा सभी राज्य सरकारें भी लगातार प्रयास कर रही हैं. इसके अलावा किसान प्राकृतिक खेती कैसे करें इसको लेकर सरकारें विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर प्रशिक्षण भी दे रही हैं. इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, तापी (गुजरात) जोकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है और नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी, गुजरात द्वारा संचालित किया जाता है. इस केंद्र द्वारा तापी जिले के कलेक्टर, भार्गवी देव की अध्यक्षता में केवीके के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर दूसरा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें तापी जिले के 232 से अधिक पुरुष और महिला किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.

जिला कलेक्टर भार्गवी दवे ने अपने संबोधन में रासायनिक खेती के जगह पर प्राकृतिक खेती करने पर जोर दिया. उन्होंने आगे निर्देशित किया कि तापी जिले की कामकाजी महिलाएं जैविक खेती में क्रांति लाएंगी और जैविक उत्पादों का सही मूल्य बनाएंगी. उन्होंने किसानों को भारत सरकार द्वारा "अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष- 2023" मनाने के पीछे के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, तापी द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की.

प्राकृतिक खेती से किसान बढ़ा सकते हैं आय

मुख्य अतिथि निदेशक विस्तार शिक्षा, एनएयू, नवसारी, डॉ एन एम चौहान ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न लाभों पर मार्गदर्शन किया. साथ ही उन्होंने तापी जिले में भिंडी और हाइब्रिड धान की फसलों के माध्यम से कृषि में क्रांति की बात कही और प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसानों को अपनी आय बढ़ाने के सुझाव दिए.

प्राकृतिक खेती से समस्या से निजात

कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. सी.डी. पंड्या, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख, केवीके-तापी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि रसायनों के अंधाधुंध और अविवेकपूर्ण उपयोग ने कृषि फसलों की उर्वरता और उत्पादकता को कम कर दिया है. अगर हम प्राकृतिक खेती को अपना लें तो इस समस्या से निजात मिल सकती है.

तापी जिले के 232 से अधिक पुरुष और महिला किसानों ने लिया भाग
तापी जिले के 232 से अधिक पुरुष और महिला किसानों ने लिया भाग

वैज्ञानिकों ने दी जानकारी

प्रो. कुलदीप राणा, वैज्ञानिक (फसल उत्पादन) ने तापी में प्राकृतिक खेती, इसके लाभ और अवसरों के बारे में विस्तार से बताया. साथ ही डॉ. एच. आर. जादव, वैज्ञानिक (फसल संरक्षण) ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई जाने वाली फसलों में कीट और रोग नियंत्रण पर मार्गदर्शन दिया. प्रो. आरती एन. सोनी, वैज्ञानिक (गृह विज्ञान) ने रागी की फसल से बने विभिन्न उत्पादों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. आत्मा-तापी के परियोजना निदेशक ए.के. पटेल ने प्राकृतिक खेती के लिए एटीएमए परियोजना की विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया. इसके अलावा जिला कृषि अधिकारी, सी. सी. ने किसान समुदाय के लाभ के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

वैज्ञानिकों ने किसानों को दी प्राकृतिक खेती की जानकारी
वैज्ञानिकों ने किसानों को दी प्राकृतिक खेती की जानकारी

प्रगतिशील किसान ने साझा किया अनुभव

इस कार्यक्रम में उच्छल प्रखंड के मानेकपुर गांव के प्रगतिशील किसान शरतिलाल वसावा ने किसानों को अपने खेत में प्राकृतिक खेती के अपने अनुभव साझा किया. सभी किसानों ने केवीके-तापी में प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन प्लाट का दौरा किया और जागरूक हुए. डॉ. ए. जे. ढोडिया, वैज्ञानिक (कृषि विस्तार) द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया, जबकि पूरे कार्यक्रम का संचालन डॉ. जिगर बुटानी, वैज्ञानिक (पशु विज्ञान) द्वारा सफलतापूर्वक किया गया.
 

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