बिहार के नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से 20 किलोमीटर दूर स्थित चंडी प्रखंड में राज्य का इकलौता सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल है. यहां इजराइली तकनीक पर आधारित हाइड्रोपोनिक यूनिट की शुरुआत की गई है. इंडो इजरायल तकनीक के आधार पौधा उत्पादन के क्षेत्र में ये सेंटर अग्रणी भूमिका निभा रहा है. यहां आधुनिक तकनीक से पौधा तैयार करने के साथ ही सब्जी की खेती भी अधिक मात्रा में की जा रही है. साथ ही किसानों को इस आधुनिक तकनीक के प्रयोग को अपनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. वहीं मंगलवार को भारत इजरायल कृषि परियोजना के इंचार्ज सह कृषि विशेषज्ञ वायर एशेल चंडी स्थित सेंटर ऑफ एक्सिलेंस पहुंचे और इजरायली तकनीक से की रही कृषि की विभिन्न पद्धतियों का निरीक्षण किया और किसानों को सब्जी की बेहतर खेती करने का ज्ञान दिया.
उन्होंने कहा कि पहले से बेहतर सुधार हुआ है. लेकिन थोड़ी और बेहतरी की जरूरत है. क्योंकि इस तकनीक का प्रयोग कर किसान अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि किसानों को ड्रिप इरिगेशन को अपनाने के लिए आगे आना होगा.
सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के सहायक निदेशक ने बताया कि पहले सेंटर ऑफ में हाथ से बीज की बुवाई की जाती थी. जिससे प्रति महीने लगभग पांच लाख पौधा तैयार होता था. लेकिन अब यहां बीज की बुवाई के लिए ऑटोमेटिक मशीन उपलब्ध कराई गई है. जिससे अब प्रति माह 3 लाख से ज्यादा पौधे तैयार की जा सकती है. वहीं इस यहां प्रत्येक महिने आठ लाख विभिन्न तरीके के सब्जियों का पौधा तैयार किया जाएगा.
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सहायक निदेशक उद्यान डॉ. अभय कुमार गौरव ने बताया कि निरीक्षण के दौरान पौधा तैयार करने पर सब्जी उत्पादन के लिए प्रयोग किए जा रहे सभी तकनीकों को बारीकी से देखा और मौसम के अनुसार फसल प्रबंधन के बारे में जानकारी दी. वहीं उन्होंने बढ़ते तापमान को देखते हुए सिंचाई प्रबंधन और हाईटेक नर्सरी विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई. साथ ही उन्होंने कहा कि मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को और सक्रिय करने की जरूरत है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि भारत और इजरायल के कृषि परियोजना के तहत दी जाने वाले गाइडलाइन को फॉलो करते रहें.
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