गेहूं, चावल और दालों के बाद अब चीनी का नंबर, व्यापारियों को हर हफ्ते देनी होगी स्टॉक की जानकारी

गेहूं, चावल और दालों के बाद अब चीनी का नंबर, व्यापारियों को हर हफ्ते देनी होगी स्टॉक की जानकारी

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार भारत के पास अगस्त, 2023 के अंत में लगभग 83 एलएमटी चीनी का स्टॉक था, यह स्टॉक लगभग साढ़े तीन महीने की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.

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गेहूं, चावल और दालों के बाद अब चीनी का नंबर, व्यापारियों को हर हफ्ते देनी होगी स्टॉक की जानकारीचीनी की महंगाई को लेकर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है

सरकार ने चीनी को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. चीनी की बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार ने व्यापारियों को हर हफ्ते वीकली शुगर स्टॉक के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है. यह निर्देश व्यापारियों के अलावा होलसेलर, रिटेलर, बड़े चेन रिटेलर और प्रोसेसर के लिए है. सरकारी पोर्टल पर व्यापारियों को चीनी के स्टॉक के बारे में जानकारी देनी होगी. इस फैसला इसलिए लिया गया है ताकि चीनी की जमाखोरी न बढ़े और इसकी महंगाई न हो. आगे त्योहारी सीजन को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है.

चुनावी सीजन में महंगाई को काबू करने के लिए सरकार पूरी कोशिश में जुट गई है. इसके लिए उसने दलहन पर स्टॉक सीमा लगाई. चावल के निर्यात पर प्रतिबंध और एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई. बासमती पर 1200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन न्यूनतम एक्सपोर्ट प्राइस लगाया. गेहूं का दाम काबू करने के लिए इसकी स्टॉक लिमिट लगाई. अब चीनी की बारी है. कारोबारियों को हर शुक्रवार अपनी स्टॉक लिमिट सरकार को बतानी होगी.

चीनी निर्यात का कोटा सीमित

भारत ने चीनी के निर्यात कोटा को केवल 61 एलएमटी तक सीमित कर दिया है, जबकि पिछले साल करीब 100 लाख टन का एक्सपोर्ट हुआ था. उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार, भारत के पास अगस्त, 2023 के अंत में लगभग 83 एलएमटी चीनी का स्टॉक था, यह स्टॉक लगभग साढ़े तीन महीने की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.

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केंद्र ने चीनी उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों से अनुरोध किया है कि वे फसल की स्थिति पर नजर रखें. गन्ने के रकबे, उपज और चीनी उत्पादन के बारे में अपनी जानकारी दें. वर्तमान चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) 2022-23, सितंबर 2023 की 30 तारीख को समाप्त हो रहा है.   

चीनी के भाव स्थिर रखने पर जोर

इस बीच निर्यात के लिए तभी अनुमत‍ि है जब सरप्लस चीनी हो. यह व्यवस्था घरेलू बाजार में दाम की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए की गई है. भारत ने चीनी का निर्यात कोटा को केवल 61 एलएमटी तक सीमित कर दिया है, जबकि पिछले साल करीब 100 लाख टन का एक्सपोर्ट हुआ था.

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सरकार ने चीनी की स्टॉक लिमिट की जानकारी इसलिए मांगी है ताकि जमाखोरी की आशंका न रहे. त्योहारी सीजन में चीनी की मांग अत्यधिक रहती है. ऐसे में सरकार कोई ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं चाहती जिससे चीनी की सप्लाई घटे और इसके रेट में तेजी आए. हालांकि चीनी के दाम में थोड़ा सा उछाल जरूर है, लेकिन आगे इस बढ़ोतरी को रोकने के लिए सरकार स्टॉक लिमिट जैसी कार्रवाई कर रही है. अब व्यापारियों को सरकारी पोर्टल पर हर हफ्ते चीनी के स्टॉक की जानकारी देनी होगी.

 

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