देश में अनाज भंडारण क्षमता को लेकर एफसीआई के क्या हैं हाल, संसद में दी गई जानकारी

देश में अनाज भंडारण क्षमता को लेकर एफसीआई के क्या हैं हाल, संसद में दी गई जानकारी

भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास खाद्यान्न स्टॉक तीन साल पहले के 92 प्रतिशत से घटकर इस साल कुल कवर क्षमता का 78 प्रतिशत हो गया है. 30 जून, 2019 को भंडारण क्षमता 379.5 लाख टन थी, जबकि स्टॉक 365.33 टन था. लेकिन 30 जून, 2020 तक और क्षमता घटकर 89 प्रतिशत होगया.

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देश में अनाज भंडारण क्षमता को लेकर एफसीआई के क्या हैं हाल, संसद में दी गई जानकारी भारतीय खाद्य निगम अनाज भंडारण क्षमता हुआ कम

भारतीय खाद्य निगम (FCI) के पास खाद्यान्न स्टॉक तीन साल पहले के 92 प्रतिशत से घटकर इस वित्तीय वर्ष में कुल कवर क्षमता का 78 प्रतिशत हो गया है, क्योंकि पिछले साल गेहूं की खरीद में गिरावट आई थी. यही नहीं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत भारी मात्रा में अनाज वितरित किया गया था..संसद में मंगलवार को रखी गई खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्टैंडिंग कमेटी की 24वीं रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जून, 2019 को भंडारण क्षमता 379.5 लाख टन थी, जबकि स्टॉक 365.33 टन था. लेकिन 30 जून, 2020 तक और क्षमता का उपयोग घटकर 89 प्रतिशत रह गया.

संसदीय स्थायी पैनल ने कहा कि पिछले साल कम गेहूं खरीद के बाद उपयोग में कमी आई है. यह 30 जून, 2021 तक 88 प्रतिशत पर आ गया. हालांकि, गेहूं की खरीद में 57 प्रतिशत की गिरावट और लगभग 800 टन अतिरिक्त अनाज पीएमजीकेएवाई योजना के तहत वितरित किए जाने के कारण (अप्रैल 2020 और जून 2022 के बीच), स्टॉक और गिरकर 324.01 लाख टन हो गया. जबकि 30 जून, 2022 तक 413 लाख टन की भंडारण क्षमता रही. 

किराए पर अनाज का भंडारण करता है एफसीआई

मंत्रालय ने समिति को सूचित किया कि एफसीआई भंंडारण क्षमता का अच्छी तरह से आकलन और निगरानी करता है और भंडारण अंतराल के आधार पर भंडारण क्षमता को किराए पर लिया जाता है. मंत्रालय आगे कहता है कि भंडागार निगमों/निजी निवेश से गोदामों को किराए पर लेना/बनाना एफसीआई के स्वामित्व वाली क्षमता की संरचना की तुलना में अधिक लागत प्रभावी है. 

निजी भंडारण क्षमता बढ़ाने पर क्यों जोर

मंत्रालय ने कहा कि किसी विशेष स्थान पर निर्मित स्वामित्व की क्षमता का निर्धारण नहीं किया जा सकता है. उसकी आवश्यकता अलग-अलग स्थान पर खरीद पैटर्न में बदलाव या उपभोक्ता वरि‍यता आदि के कारण अनाज के उठान में परिवर्तन के कारण होती है. जबकि किराए की क्षमता को आवश्यकता के अनुसार फिर से बदला जा सकता है. इसलिए, निजी निवेश को आकर्षित करके भंडारण क्षमता का निर्माण करने को प्राथमिकता दी जाती है.

 

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