किसानों की आय दोगुनी करने के लिए क्या कर रही है केंद्र सरकार, इन 19 पॉइंट में समझें पूरा गणित किसानों की आय दोगुनी करने के लिए क्या कर रही है केंद्र सरकार, इन 19 पॉइंट में समझें पूरा गणित
'किसानों की आय दोगुनी करना' के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया है कि किसानों की आय को दोगुना करने के सरकार के प्रयासों के बहुत सकारामक परिणाम सामने आए हैं. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं देश में किसानों के लिए कौन-कौन सी चल रही हैं....
किसानों के लिए सरकारी योजनाएं (All Government Schemes for Farmers)
केंद्र सरकार ने 2016 में किसानों की आय दोगुना करने की घोषणा की थी. इसके लिए 2022 को टारगेट किया गया था. सीधे तौर पर केंद्र सरकार ने 2022 तक देश के किसानों की आय डबल करने को लेकर बात कही थी. लेकिन, किसानों की आय दोगुने करने को लेकर किया वायदा और दावा अभी तक राजनीतिक सवालोंं पर है. इसको लेकर राज्यसभा में आमआदमी पार्टी के नेता राघव चड्डा ने केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से सवाल पूछा था. जिसके जवाब में कृषि मंत्री तोमर ने बताया है कि केंद्र सरकार कैसे किसानों की आय दोगुना करने के लिए काम कर रही है. आइए इन 19 प्वाइंटस के जरिए समझते हैं कि केंद्र सरकार कैसे किसानों की आय डबल कर रही है.
- बजट आवंटन में बढ़ोतरी: वर्ष 2015-16 में, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (डेयर, डीएएचए एंड एफ सहित) के लिए बजट आवंटन 25460.51 करोड़ रुपए था. इसे वर्ष 2022-23 में 5.44 गुना से अधिक बढ़ाकर 1,38,550.93 करोड़ रुपए कर दिया गया है.
- पीएम किसान योजना की शुरुआत: वर्ष 2019 में पीएम-किसान योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत किसानों को सालाना 3 समान किश्तों में प्रति वर्ष 6000 रुपए दिया जाता है. अभीतक इस योजना के तहत लगभग 11.3 करोड़ पात्र किसानों परिवारों को 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक दिया जा चुका है.
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत 2016 में की गई थी. इस योजना के तहत पिछले 6 वर्षों में 38 करोड़ किसानों ने रजिस्ट्रेशन किया है. वहीं, 11.73 करोड़ से अधिक किसानों ने दावा क्लेम किया है जिनको 1,24,223 करोड़ से अधिक के दावे प्राप्त हुए हैं. इस अवधि के दौरान किसानों द्वारा फसलों के प्रीमियम के रूप में लगभग 25,185 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था. जिसकी तुलना में उन्हें ,24,223 करोड़ रुपए से अधिक के दावों का भुगतान किया गया है.
- कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण: संस्थागत ऋण की पहुंच को वर्ष 2015-16 में 8.5 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2022-23 में 18.5 करोड़ रुपए लाख करोड़ रुपए करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं इसके अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से अब पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को सालाना 4% ब्याज पर ऋण दिया जाता है.
- एमएसपी को उत्पादन लागत का डेढ़ गुना तय करना: सरकार ने वर्ष 2018-19 से एमएसपी को औसत उत्पादन लागत का कम से कम डेढ़ गुना ज्यादा रखने का लक्ष्य रखा है, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मेहनताना मिल सके। इसके अलावा खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी बढ़ोतरी किया है.
- देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना: देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2015-16 में परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) शुरू की गई थी. इसके अंतर्गत 32,384 क्लस्टर गठित किए गए हैं और 6.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है जिससे 16.19 लाख किसान लाभन्वित हुए हैं.
- प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना: प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC) योजना वर्ष 2015-2016 में शुरू की गई थी जिसका मकसद सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता और उत्पादकता में बढ़ोतरी करना है. अभी तक 69.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को को सूक्ष्म सिंचाई के तहत शामिल किया गया है.
- सूक्ष्म सिंचाई कोष: नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपए की शुरुआती निधि के साथ इसकी शुरुआत की गई थी. वहीं, वर्ष 2021-2022 में इस कोष में निधियों की मात्रा को बढ़ाकर 10000 करोड़ रुपए किया जाना है. इसके तहत 17.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्रों को शामिल करने वाली 4710.96 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है.
- किसान उत्पादक संगठन (FPO) का संवर्धन: इसके तहत वर्ष 2027-28 तक 6865 करोड़ रुपए के खर्च से 10000 एफपीओ स्थापित करना है. अक्टूबर 2022 तक 3855 एफपीओ पंजीकृत हो चुके हैं.
- राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एव शहद मिशन (एनबीएचएम): आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एव शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया है ताकि परागण के माध्यम से फसल उत्पादकता एवं आय के अतिरिक्त जरिया के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि की जा सके. मधुमक्खी पालन के लिए 2020-20221 से 2022-2023 की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपए आवंटित किए गया हैं.
- कृषि यंत्रीकरण: कृषि को आधुनिक बनाने और कृषि से जुड़े कार्यों को करने में आने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए कृषि यंत्रीकरण योजना की शुरुआत की गई है. वहीं, 2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि यंत्रीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई थी. वहीं इस योजना के तहत किसानों को राज्यों द्वारा दी गई सहायता के आधार पर कुल 13,88,314 मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए 18,824 कस्टम हायरिंग केंद्र,403 हाई-टेक हब और 16791 फार्म मशीनरी बैंक स्थापित किए गए हैं.
- किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराना: खेती के दौरान जरूरत के अनुसार खाद उपयोग करने के लिए वर्ष 2014-2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई थी.
- ई-नाम विस्तार मंच की स्थापना: 22 राज्यों और 03 संघ राज्य क्षेत्रों की 1260 मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है. अक्टूबर 2022 तक ई-नाम पोर्टल पर 174 करोड़ से अधिक किसानों और 236 लाख व्यापारियों को पंजीकृत किया गया है.
- राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – ऑयल पाम: इस मिशन की शुरुआत 11,040 करोड़ रुपए के कुल खर्च के साथ शुरू किया गया है. वहीं, इससे अगले 5 वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों में 3.28 लाख हेक्टेयर और शेष भारत में 3.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ऑयल पाम वृक्षारोपण के तहत 6.5 लाख हेक्टेयर का अत्तिरिक्त क्षेत्र शामिल किया गया जाएगा.
- कृषि अवसंरचना कोष: वर्ष 2022 में कृषि अवसंरचना कोष की स्थापना के बाद से, इस योजना ने 18133 से अधिक परियोजनाओं के लिए देश में 13681 करोड़ रुपए के कृषि मूलभूत ढांचे को स्वीकृति दी है. इस मूलभूत ढांचे में 8076 गोदाम, 2788 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां, 1860 कस्टम हायरिंग केंद्र, 937 छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयां, 696 शीतागार परियोजनाएं, 163 परख इकाइयां और लगभग 3613 अन्य प्रकार की फसलोंपरांत प्रबंधन परियोजनाएं तथा सामुदायिक कृषि परियोजनाएं शामिल हैं.
- कृषि उपज संभारतंत्र में सुधार, किसान रेल की शुरुआत: रेल मंत्रालय द्वारा विशेष रूप से जल्द खराब होने वाली वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लेकर जाने के लिए किसान रेल शुरू की गई है. पहली किसान रेल जुलाई, 20220 में शुरू की गई थी. वहीं, 31 अक्टूबर, 2022 तक 167 मार्गों पर 2359 किसान रेल सेवाएं दी गई हैं.
- एमआईडीएच-कलस्टर विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य पहचान किये गए बागवानी क्लस्टर को विकसित करना है ताकि उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बनाया जा सके। केशी एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, मिज़ोरम, झारखंड, उत्तराखंड आदि राज्यों के 55 बागवानी समूहों की पहचान की है. जिनकी पहचान उनके फोकस/मुख्य फसलों के साथ की जाएगी.
- कृषि और संबद्ध क्षेत्र में स्टार्ट-अप व्यवस्था का निर्माण: वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-2023 के दौरान 1055 स्टार्टअप का इसके तहत चयन किया गया है. वहीं इन 1055 स्टार्टअप को वित्त पोषण के लिए स्वीकृत 10932.24 लाख रुपए की निधि में से 6317.91 लाख रुपए की अनुदान सहायता किश्तों में जारी की गई है.
- कृषि और संबद्ध कृषि वस्तुओं के निर्यात में उपलब्धि: देश में कृषि और इस क्षेत्र से जुड़ें वस्तुओं के निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है. 2015-16 की तुलना में कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में निर्यात वर्ष 2015-16 के 32.81 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है यानि 53.1% की बढ़ोतरी हुई है.