चंडीगढ़-अमृतसर हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर से प्रभावित हो रहा गांव, रेल प्रोजेक्ट के विरोध में उतरे किसान

चंडीगढ़-अमृतसर हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर से प्रभावित हो रहा गांव, रेल प्रोजेक्ट के विरोध में उतरे किसान

फतेहगढ़ साहिब जिले के बस्सी पथाना ब्लॉक के कम से कम 25 गांवों के किसान रविवार को नंदपुर गांव में जमा हुए. जल्द शुरू होने वाले रेल प्रोजेक्ट को लेकर किसानों का कहना है कि इसका बुरा असर गांव पर देखने को मिलेगा. जिसके चलते 25 गांवों के किसान इसके विरोध में उतर आए हैं.

Advertisement
चंडीगढ़-अमृतसर हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर से प्रभावित हो रहा गांव, रेल प्रोजेक्ट के विरोध में उतरे किसानरेल प्रोजेक्ट के विरोध में उतरे किसान

रेल मंत्रालय द्वारा पंजाब में दिल्ली-चंडीगढ़-अमृतसर हाई स्पीड रेलवे कॉरिडोर के लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण शुरू करने के कुछ दिनों बाद, किसानों ने भारतीय किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के समर्थन से परियोजना के खिलाफ लामबंद होना शुरू कर दिया है. किसान संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष गुरदीप सिंह कोटली के निमंत्रण के बाद फतेहगढ़ साहिब जिले के बस्सी पथाना ब्लॉक के कम से कम 25 गांवों के किसान रविवार शाम नंदपुर गांव में एकत्र हुए और पर‍ियोजना का व‍िरोध क‍िया. सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के बाद अधिग्रहण शुरू होने से पहले, कोटली ने कहा कि उनका अगला कदम खमनाओ में किसानों को जागरूक करना होगा.

कोटली कहा कि अकेले बस्सी पथाना ब्लॉक में 25 गांव प्रभावित हो रहे हैं, “आप समस्या की गहराई का अच्छी तरह से अंदाजा लगा सकते हैं. किसान उजड़ जाएंगे.” बीकेयू (एकता-सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि वे ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेंगे जो किसानों को उनकी जमीन से बेदखल कर देगा. उन्होंने कहा कि उन्होंने परियोजना के खिलाफ एक साथ आना शुरू कर दिया है. अगर सरकार इन किसानों के पुनर्वास के लिए कोई नीति नहीं बनाती है तो वे इस आंदोलन को  अगले स्तर पर ले जाएंगे.

मुआवजा देने का पैमाना क्या है?

दल्लेवाल ने कहा, ''जहां भी ज़मीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है और किसानों को भगाया जा रहा है, हम सक्रिय हो जाएंगे. पंजाब में कई हाईवे बनाए गए हैं लेकिन किसानों को उनकी कीमत जो मिलनी चाहिए वह नहीं मिली है. कुछ स्थानों पर औने-पौने दाम पर जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. कहीं सरकारें हर एकड़ के लिए 60 लाख रुपये देती हैं तो कहीं 1.5 से 2 करोड़ रुपये तक. आख‍िर पैमाना क्या है? सरकारें जमीन का अधिग्रहण तो कर सकती हैं. लेकिन इन किसानों के पुनर्वास के लिए सरकार क्या करेगी. हम राजस्थान, हिमाचल प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकते. अगर किसान जमीन नहीं खरीद सकते तो उन्हें भटका क्यों दिया जा रहा है?'' 

ये भी पढ़ें: Lucknow Kisan Mahapanchayat: लखनऊ में आज लगेगा हजारों किसानों का जमावड़ा, इन मुद्दों पर सरकार को घेरने को तैयारी

अपनी जमीन की कीमत समझनी चाह‍िए

कोटली ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ''हमें अपनी जमीन की कीमत समझनी चाहिए. हम असफल हो गए हैं. हम अपने बच्चों को विदेश भेजना चाहते हैं. यह संवेदनशील होने का समय है. हमें सोचना चाहिए कि हमारे पूर्वज इसी धरती पर पैदा हुए और यहीं रहते थे. अब हम अपनी जमीन की कीमत नहीं लगा पा रहे हैं. हम सिस्टम पर आरोप लगाते हैं. इस व्यवस्था के लिए हम जिम्मेदार हैं. पंचायत चुनाव नजदीक हैं. हम देखेंगे कि कितने ईमानदार लोग चुने जाएंगे. हमारी कसौटी अलग होगी. यहीं से इसकी शुरुआत होती है.

POST A COMMENT