इटावा जिले के क्षेत्र में बेमौसम बारिश के कारण तापमान गिर गया और अचानक तेज हवाओं के कारण फसल भी खेतों में गिर गये. जिससे भारी नुकसान देखने को मिल रहा है. वहीं कुछ इलाकों में ओलावृष्टि से भी फसलों को भारी नुकसान हुआ है. इस नुकसान को देखते हुए कृषि विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचकर इसका आकलन कर रहे हैं. साथ ही किसानों को हिदायत दी जा रही है कि अगर बाजरा और धान की फसल पक गई है तो वे जल्द से जल्द उसकी कटाई कर लें और उपज इकट्ठा कर लें. ताकि फसलों को बचाया जा सके और नुकसान कम हो.
इटावा जिले के क्षेत्र में सबसे अधिक धान, बाजरा और आलू की फसल पैदा की जाती है. तेज हवाओं के कारण बाजार और धान की फसल खेत में ही पलट गयी है. इसको लेकर किसान भी चिंतित नजर आ रहे हैं. इसलिए अधिकारी मौसम में बदलाव के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रयास कर रहे हैं.
बुजुर्ग किसान अमर सिंह ने बताया कि खेत में खड़ी फसल को काफी नुकसान हुआ है. कुछ जगहों पर पानी भर गया है. इससे धान, बाजरा और मूंग की फसल को भी नुकसान हुआ है. हमारे बलरई और जसवन्तनगर क्षेत्र की 80 प्रतिशत खेती बर्बाद हो गई है. नगला सलहदी निवासी किसान शिवेंद्र पाठक ने बताया कि ओलावृष्टि से फसल को काफी नुकसान होता है. हालांकि अभी ज्यादा पानी नहीं है लेकिन तेज हवाओं के कारण नुकसान हुआ है.
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निरीक्षण करने पहुंचे उपकृषि निदेशक आर. एन सिंह ने बताया कि अभी ज्यादा बारिश नहीं हुई है. लेकिन ओलावृष्टि हुई है और तेज हवा से ज्यादा नुकसान हुआ है. जहां धान की पकी फसल खड़ी थी, वह गिर गयी है. जहां ओलावृष्टि हुई है वहां नुकसान अधिक है. इस नुकसान की रिपोर्ट मांगी गई है. जहां धान की फसल गिर गयी है. इस तरह पांच फीसदी का नुकसान हुआ है. तापमान में ज्यादा अंतर नहीं है. आलू की बुआई चल रही है. सरसों की फसल उग रही है. इसमें नुकसान कम हुआ है.
किसान भाइयों से अनुरोध है कि फसल जल्दी काट लें, अभी मौसम ठीक नहीं है, बारिश की संभावना बनी हुई है. फसल घर ले जाने के लिए जल्दी करें. बसरेहर विकास खण्ड से ओलावृष्टि की अधिक सूचना प्राप्त हुई है. मैं इसका आकलन करा रहा हूं. ओलों का आकार 25 ग्राम से अधिक था. उपकृषि निदेशक ने कहा जो भी नुकसान हुआ है उसका बीमा कंपनी से मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा.
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