Haldi Price: भारतीय मसालों में हल्दी का एक अलग ही महत्व है. यही कारण है कि आपको हर घर की रसोई में हल्दी ज़रूर मिलेगी. हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है साथ ही यह कई तरह के रोगों से भी रक्षा करती है. वहीं इसका इस्तेमाल विषेशरूप से भोजन पकाते हुए किया जाता है. हल्दी की बाजारों में साल भर मांग बनी रहती है इसलिए हल्दी की खेती किसानों के लिए हमेशा फायदे का सौदा होता है, लेकिन यदि हम कहें कि हल्दी का उत्पादन बढ़ने से उसकी मांग में अचानक कमी आई है तो आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन ऐसा ही हुआ है.
दरअसल, मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, कारोबारियों का कहना है कि फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में सुस्त मांग और रिकॉर्ड उत्पादन के चलते दिवाली के हल्दी की कीमत में कमी देखी जा रही है. RKV रविशंकर (अध्यक्ष इरोड हल्दी मर्चेंट्स एसोसिएशन) के मुताबिक, दिवाली के तुरंत बाद तेलंगाना और महाराष्ट्र के बाजार में हल्दी की कीमत 300-400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई थी, लेकिन सुस्त मांग के कारण अब वापस दिवाली के पहले के स्तर पर पहुंच गई है.
इस तरह हुआ कीमत में परिवर्तन
इरोड में फिंगर हल्दी का मॉडल मूल्य (जिस दर पर अधिकांश व्यापार होता है) दीपावली से पहले 6,641 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 18 नवंबर तक 7,131 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था, जो वर्तमान में 6,700 रुपये के स्तर तक गिर गया है. निजामाबाद के व्यापारी पूनम चंद गुप्ता के मुताबिक, कि पिछले साल हल्दी का उत्पादन अधिक था जिसके परिणाम स्वरूप किसान अब भी अपना स्टॉक से ला रहे हैं, इसलिए कीमतों में उतराव-चढ़ाव देखने को मिल रहा है.
किसानों के पास अभी भी है पिछले साल का स्टॉक
निजामाबाद के अन्य व्यापारी अमृतलाल कटारिया ने कहा कि पिछले साल बेमौसम बारिश के कारण फसल के खराब होने की आशंका गलत साबित हुई, महाराष्ट्र और निजामाबाद में किसानों के पास अभी भी पुराना स्टॉक है. दक्षिण कृषि आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में हल्दी का उत्पादन पिछले वर्ष 11.76 लाख टन की तुलना में 13.31 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है. इरोड हल्दी मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रविशंकर के मुताबिक, पिछले साल अधिक उत्पादन के अलावा दिसंबर में भी मांग कमजोर रही और अभी भी कम मांग देखी जा रही है.
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