एक तरफ किसान खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी ओर इन मांगों को दरकिनार करते हुए केंद्र सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क कम कर दिया है. रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है. सूरजमुखी और सोयाबीन के दाम गिरने से पहले ही दुखी किसानों की परेशानी इस फैसले के बाद और बढ़ सकती है. हालांकि, अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने कहा कि यह कदम उठाने से जमीन पर कोई ठोस प्रभाव पड़ने के बजाय भावनाओं के साथ अधिक असर होगा. क्योंकि बहुत कम रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल का आयात करता है.
ठक्कर ने कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला अप्रत्याशित है. किसानों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा. क्योंकि किसान पहले से ही तिलहन फसलों के कम दाम से परेशान हैं. हालांकि, सोयाबीन और सूरजमुखी का अधिकांश तेल कच्चे रूप में आयात किया जाता है. इसके बाद भारत में परिष्कृत किए जाते हैं. इसके अलावा, निर्यात स्थलों के पास उतनी बड़ी रिफाइनिंग क्षमता भी नहीं है. फिर भी इस फैसले से जो सेंटीमेंट बनेगा वो किसानों को नुकसान पहुंचा सकता है.
कच्चे बुधवार की कटौती के बाद भी सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के लिए कच्चे और रिफाइंड तेलों के बीच शुल्क का अंतर काफी बड़ा बना हुआ है. कच्चे सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल पर आयात शुल्क करीब 5.50 फीसदी है. फिर भी, शुल्क कम करने का कदम बाजार में प्रचलित मूड के विपरीत है, जो पिछले कुछ महीनों में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट के कारण शुल्क वृद्धि की उम्मीद कर रहा था.
वृद्धि की उम्मीदों के विपरीत शुल्कों में कटौती का निर्णय दिखाता है कि केंद्र खाद्य मुद्रास्फीति के एक बड़े चुनावी वर्ष में जाने से सरकार काफी चिंतित है और अलनीनो वर्ष में 2023 के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के भाग्य को लेकर वास्तविक चिंताएं भी हैं. दूसरी तरफ 14 जून तक दक्षिण पश्चिम मॉनसून सामान्य से 53 फीसदी कम हुआ है.
महासंघ के महामंत्री तरुण जैन ने कहा मूल रूप से सरकार खाद्य तेल की कीमत को नियंत्रण में रखना चाहती है. लेकिन बाजार पर इसका कुछ अस्थायी भावनात्मक प्रभाव पड़ सकता है. हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मुख्य तेलों में 40 से लेकर 55 फीसदी की कमी आई है.
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भारत ने अप्रैल 2023 में लगभग 1.05 मिलियन टन खाद्य तेलों का आयात किया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक है. जबकि नवंबर से अक्टूबर तक चलने वाले 2022-23 खाद्य तेल वर्ष के नवंबर से अप्रैल की अवधि में देश ने लगभग 8.11 मिलियन टन खाद्य तेलों का आयात किया जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक था.
ठक्कर ने कहा कि ऐसे निर्णय से बाजारों का रुख नकारात्मक होगा और भारत को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार विफल हो सकती है. इस निर्णय से किसानों को भी नुकसान होगा, क्योंकि पिछले दिनों ही हरियाणा में किसानों ने सूरजमुखी की फसल बेचने के लिए एमएसपी से कम भाव मिलने के चलते आंदोलन छेड़ा था. इसलिए सरकार को ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी संबंधित पक्षों की बात सुननी चाहिए.
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