सेब की खरीद पर भ्रम के आरोपों के बीच, राज्य सरकार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि सेब की खरीद जिन्होंने वजन के आधार पर नहीं की है गढ़ यानी पेटियों के आधार पर की है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. ये बात जगत सिंह नेगी ने आढ़तियों द्वारा गढ़ के आधार पर सेब खरीद किए जाने को लेकर कही है. उन्होंने कहा कि ऐसे आढ़तियों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे. ऐसे में अब सेब को वजन के हिसाब से खरीदने और गड के हिसाब से खरीदने को लेकर बागवान और आढ़ती असमंजस में हैं. मालूम हो कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार शाम को आढ़तियों के साथ बैठक करने के बाद बागवानों की इच्छानुसार सेब की खरीद वजन और गढ़ दोनों के हिसाब से करने को कहा था.
वहीं, शुक्रवार को पराला सहित अन्य मंडियों में आढ़़तियों ने पूरी तरह से अपनी मनमानी चलाते हुए वजन के हिसाब से सेब न खरीद गड के हिसाब से खरीदा. सेब की खरीद वजन की अपेक्षा गढ़ यानी पेटियों के आधार पर की गई. जब बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी से पूछा गया कि अब आढ़तियों ने सेब की खरीद वजन के हिसाब से बंद कर दी है और गढ़ के आधार पर खरीद कर रहे हैं तो बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि ऐसे आढ़तियों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे.
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दरअसल, हिमाचल प्रदेश के बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा, "वजन के आधार पर सेब की बिक्री न करने वालों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे. गड के आधार पर फलों व सेब की बिक्री नहीं होगी. इस संबंध में पहले ही 45 नोटिस दिए गए हैं और कुछ नोटिस शुक्रवार को दिए गए हैं. नियमों के अनुसार खरीद न करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा."
बागवानों के अनुसार मंडी में सेब किलो के हिसाब से नहीं बेचा गया जिससे नुकसान हुआ. आज जो रेड गोल्डन सेब 1200 रुपये पेटी बिका. वहीं एक हफ्ते पहले 100 रुपये किलो के हिसाब से 2400 में सेब बिका था. सरकार ने कहा था कि सेब किलो के हिसाब से बिकेगा लेकिन मंडियों में ऐसा नहीं हो रहा.
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उन्होंने कहा कि बागवानों के हित में सरकार ने किलो के हिसाब से मंडियों में फल बेचने का फैसला लिया है. इसे वापस नहीं लिया जाना चाहिए. पहली बार बागवानों को उपज के सही दाम मिल रहे हैं. सेब बागवानों के हित में यह व्यवस्था कड़ाई से लागू की जानी चाहिए. बागवान इस फैसले में सरकार के साथ है.
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