गेहूं की बंपर उपज के साथ ही रबी सीजन में बुवाई रकबा रिकॉर्ड बनाने के बाद भी बाजार में गेहूं की कीमतों में गिरावट नहीं आ रही है. नवंबर-दिसंबर से गेहूं की कीमतों में जारी उछाल ने कंज्यूमर की परेशानी बढ़ानी शुरू कर दी है. गेहूं का ताजा बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से 21 फीसदी अधिक चल रहा है. जबकि, एक सप्ताह के दौरान भाव के अंतर को देखें तो यह 100 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ गया है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार 11 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं का मंडी भाव 2909.96 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है. यह एमएसपी 2275 रुपये से 21 फीसदी अधिक है. मंडी भाव बीते सप्ताह 4 जनवरी की तुलना में 100 रुपये प्रति क्विंटल अधिक चल रहा है. जबकि, एक साल पहले यानी 11 जनवरी 2024 को 2538 रुपये प्रति क्विंटल भाव से मौजूदा गेहूं का भाव 15 फीसदी अधिक है.
रबी सीजन 2024-25 में किसानों ने गेहूं की बंपर बुवाई की है. इसकी वजह नवंबर 2024 में गेहूं के एमएसपी में 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की घोषणा है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार गेहूं का सामान्य एरिया 312.35 लाख हेक्टेयर है, जबकि 3 जनवरी 2025 तक देश में 319.74 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है. यानी इस बार सामान्य 9 लाख हेक्टेयर अधिक गेंहू की खेती किसानों ने की है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2023-2024 रबी सीजन में बुवाई के बाद गेहूं का उत्पादन 1132.92 लाख मीट्रिक टन हुआ है. 30 नवंबर 2024 को भारत सरकार के बफर स्टॉक में 206 लाख मीट्रिक टन गेहूं मौजूद था. गेहूं का स्टॉक बनाए रखने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 13 मई 2022 से गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया हुआ है. बावजूद गेहूं की कीमतों में गिरावट नहीं आने को चिंताजनक माना जा रहा है.
विशेषज्ञों ने कहा है कि गेहूं की कीमतों में उछाल की वजह ऑफ सीजन है. क्योंकि, किसानों के पास से गेहूं का स्टॉक बाजार में नहीं पहुंच रहा है, वे अगली कटाई से पहले अपने स्टॉक को खाली नहीं करना चाहते हैं. जबकि, गेहूं से बिस्किट, ब्रेड समेत दूसरी खाद्य वस्तुएं बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों ने गेहूं की बंपर खरीद की है. सरकार के स्टॉक लिमिट लगाने के पहले तक भी ट्रेडर्स के पास ज्यादा स्टॉक नहीं बचा. वहीं, केंद्र के लिए गेहूं का स्टॉक और वितरण करने वाली नोडल एजेंसी एफसीआई ने सरकारी स्टॉक से गेहूं आपूर्ति की बाजार में करने में देरी दिखाई है. केंद्र ने एफसीआई के जरिए 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की आपूर्ति ई-नीलामी के जरिए बाजारों में शुरू जरूर कर दी है, लेकिन प्रक्रिया धीमी होने की वजह से बड़ी राहत नहीं दिख रही है. ऐसे में गेहूं की तेज आपूर्ति नहीं हो पा रही है. एक्सपर्ट ने अभी कुछ सप्ताह तक गेहूं कीमतों में तेजी रहने की आशंका जताई गई है.
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