हिमाचल प्रदेश में पिछले एक महीने से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है, लेकिन बारिश का दूर- दूर तक कोई नामो निशान नहीं है. इससे किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. सिंचाई के अभाव में फसलों के ऊपर बुरा असर पर रहा है. किसानों का कहना है कि यदि कुछ दिनों के अंदर बारिश नहीं हुई, तो गेहूं की फसल बर्बाद हो जाएगी. इससे उत्पादन प्रभावित होगा. ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान उठना पड़ सकता है.
दैनिक ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कांगड़ा जिले के देहरा और जवाली उपमंडलों में बारिश न होने से किसान सबसे ज्यादा चिंतित हैं. क्योंकि कुछ ही किसानों के पास ट्यूबवेल है, जिससे वे फसलों की सिंचाई पर पाते हैं. लेकिन अधिकांश किसान बारिश पर ही निर्भर हैं. लेकिन बारिश की कमी के चलते फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. कहा जा रहा है कि सिंचाई के अभाव में अधिकांश खेतों में गेहूं की फसल पीली पड़ने लगी है, जिससे सीमांत उत्पादकों की रातों की नींद उड़ गई है.
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इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में शुष्क अवधि बहुत लंबी है. ऐसे में फसल विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार उपज कम से कम 50 प्रतिशत कम होगी, वह भी अगर एक सप्ताह के भीतर बारिश होती है तब. नहीं तो यह सर्दी किसानों के लिए एक असफल मौसम होगा. देहरा में तैनात विषय वस्तु विशेषज्ञ भूपिंदर सिंह ने कहा कि स्थिति गंभीर है. उन लोगों को थोड़ी राहत मिली है, जिन्होंने अपनी फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर करवाया है. वे मुआवजे का दावा कर सकते हैं.
वहीं, नगरोटा सूरियां में कार्यरत ज्योति रैना का कहना है कि लोगों ने पानी के अपने स्रोत बनाने शुरू कर दिए हैं. फसल न होने का मतलब पशुओं के लिए चारा न होना है. किसानों ने सरकार से अपील की है कि संकट की इस घड़ी में आगे आएं और कम से कम रियायती दर पर चारे की पर्याप्त व्यवस्था करें.
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बता दें कि पिछले दिनों खबर सामने आई थी कि हिमाचल प्रदेश में किसानों को लंबे समय तक सूखे का सामना करना पड़ सकता है. जनवरी में अब तक 100 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. षुष्क और गर्म मौसम के जारी रहने का मौसम विभाग का पूर्वानुमान लोगों को चिंता में डाल रहा है, क्योंकि इससे फसलों को नुकसान हो रहा है. इसके अलावा, कम बारिश से गर्मियों में पानी की भी कमी हो सकती है.
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