यूपीएससी परीक्षा में यूपी के किसानों के बच्चों ने इस बार खूब सफलता पाई है. पीलीभीत के किसान की एक बेटी ने सफलता पाई तो बुलंदशहर के लाल ने भी सफलता प्राप्त की है. यूपीएससी की परीक्षा में किसान परिवार के बच्चों की सफलता से न सिर्फ जिले का मान बढ़ाया है बल्कि देश के किसानों का सिर भी ऊंचा किया है. पीलीभीत जिले के राजीव कॉलोनी निवासी जवाहर सिंह यादव एक किसान हैं. उनकी बेटी प्रियंका यादव ने तीसरे प्रयास में यूपीएससी में 385 रैंक हासिल करके जिले का मान बढ़ाया है.
किसान जवाहर सिंह यादव ने बताया कि प्रियंका शुरुआत से ही पढ़ने में काफी तेज थी. 2013 में हाई स्कूल की परीक्षा में वह टॉपर रही. वहीं इंटरमीडिएट की परीक्षा में 93 परसेंट अंक प्राप्त करके जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया. बुंदेलखंड इंजीनियरिंग कॉलेज झांसी से बीटेक करने के बाद यूपीएससी की तैयारी कर रही थी. प्रियंका बिना कोचिंग के ही सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी कर रही थी. दो बार परीक्षा में कामयाबी नहीं मिली लेकिन तीसरी बार में कामयाबी मिली.
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पीलीभीत के जवाहर सिंह यादव ने बताया कि उनकी बेटी प्रियंका ने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में 385 रैंक हासिल की है. प्रियंका ने यूपीएससी में सफलता पाने के लिए किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया था. वह शुरू से ही मेधावी छात्रा रही हैं. प्रियंका की मां सरोज यादव बताती हैं कि बेटी परिवार के किसी भी कार्यक्रम में नहीं जाती थी. अपनी पढ़ाई से उसने किसी भी तरीके से समझौता नहीं किया.
वही नोएडा में किसान परिवार की बेटी शैफाली ने भी संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता पाई है. शेफाली के पिता भी किसान हैं. शैफाली ने भी तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त की है.
यूपी के बुलंदशहर के छोटे से गांव के रहने वाले पवन कुमार ने अपने तीसरे प्रयास में बिना कोचिंग के ही 239वीं रैंक हासिल की है. उनकी सफलता से सिर्फ परिवार ही नहीं बल्कि गांव में जश्न का माहौल है. बुलंदशहर के ऊंचागांव विकासखंड के रघुनाथपुर के निवासी मुकेश कुमार एक किसान हैं. उनके बेटे पवन कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में 239वीं रैंक हासिल की है. पवन कुमार ने नवोदय स्कूल से पास करने के बाद इलाहाबाद से ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर दिल्ली में सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने सेल्फ स्टडी की मदद से ही तीसरे प्रयास में कामयाबी हासिल की.
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