हिमाचल प्रदेश में नदियों में आई बाढ़ के बाद मची तबाही से अभी लोग उबरे भी नहीं है कि उत्तर प्रदेश में भी नदियों ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. पौराणिक नदी सरयू अपने उफान पर है और बस्ती जनपद में यह नदी खतरे के निशान से लगभग 50 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. जिस वजह से तटबंध के किनारे बसे गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है और प्रशासन लगातार बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए प्रयास कर रहा है. इसको लेकर बस्ती की डीएम प्रियंका निरंजन ग्राउंड जीरो पर उतरकर बाढ़ पीड़ितों का हाल जाना और खुद पानी में घुसकर जलमग्न गांव में रह रहे ग्रामीणों से बात करने पहुंची. एक महिला डीएम का जमीन पर इस तरह कार्य देखकर ग्रामवासी भी राहत महसूस कर रहे कि उनके साथ सरकार कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है.
दरअसल, बस्ती जनपद में सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित दुबौलिया ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले लगभग आधा दर्जन वह गांव होते हैं जो बंधे के किनारे बसे हुए हैं. चांदपुर कटारिया बंद के एक किलोमीटर आगे बस गांव सुविखा बाबू हर बार सरयू नदी की बाढ़ की त्रासदी झेलता है. इस बार भी जल स्तर बढ़ने के बाद यह गांव पूरी तरीके से जलमग्न हो गया है और इस गांव का संपर्क मार्ग में डूब गया है. जिस वजह से इस गांव में रहने वाले ग्रामीणों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है और वे नाव में सवार होकर अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या को आगे बढ़ा रहे है.
कल रात से अचानक जब जिला प्रशासन के पास सूचना है कि सरयू नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है तो रात में ही हरैया तहसील के एसडीएम गुलाबचंद मौके पर पहुंच गए और तटबंध इलाके के ग्रामीणों को अलग करना शुरू कर दिया, ताकि किसी प्रकार की कोई जनहानि ना हो. इस बात की जानकारी जब डीएम प्रियंका निरंजन को हुई तो वह भी मौके पर पहुंच गईं और पानी में घुसकर जमीनी स्तर पर हो रहे बाढ़ विभाग और जिला प्रशासन की व्यवस्था का जायजा लिया.
सरयू नदी की बाढ़ में इस वक्त दो गांव पूरी तरीके से जलमग्न हैं और इस गांव में रहने वाले ग्रामीण या तो नाव के सहारे अपने घरों में आ जा रहे हैं या फिर उन्होंने बंधे पर शरण ले ली है. इसके अलावा दर्जनों ऐसे गांव है जो तटबंध की दूसरी तरफ बसे हुए हैं और इस गांव के ग्रामीणों की हजारों बीघा की खेती सरयू नदी की धारा में विलीन हो चुकी है.
जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने मौके का जायजा लेने के बाद कहा कि बाढ़ पीड़ितों तक हर संभव मदद पहुंचाया जा रहा है. 2 गांव पानी से चारों तरफ से घिर गए हैं और इस गांव में रहने वाले ग्रामीणों को अलर्ट कर दिया गया है ताकि वे सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं. इसके अलावा बाढ़ चौकियां भी पूरी तरीके से चौकस हैं.
एक ग्रामीण ने बताया कि हम लोग सुविखा बाबू गांव के रहने वाले हैं. गांव डूबने के बाद हम लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. आने जाने के लिए हम लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ रहा है. छोटे-छोटे बच्चे हैं. वह अभी नाव से आते-जाते हैं. प्रशासन की तरफ से केवल एक बार ही सहायता मिली उसके बाद नहीं.
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एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि हम लोग इसी गांव के रहने वाले हैं और यहां हर साल बाढ़ आता है. जिससे हम लोगों के घर डूब जाते हैं और घर छोड़कर हमको हम लोगों को जाना पड़ता है. प्रशासन की तरफ से केवल नाव का इंतजाम किया गया है. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि हमारे गांव में 5 दिन पहले पानी आया और गांव डूबा है. अगर हमारे गांव में किसी की तबीयत खराब हो जाए तो बहुत ही समस्या है. प्रशासन की ओर से अभी तक हम लोगों को कोई मदद नहीं मिली है.
वहीं जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन ने बताया कि बाढ़ के दृष्टिगत बस्ती जिला अति संवेदनशील माना जाता है. जिसको लेकर जिला प्रशासन लगातार अलर्ट मोड में है. अभी हमारे दो राजस्व गांव विसुनदासपुर और सुविखाबाबू बाढ़ की पानी में डूब चुके हैं. जिसमें प्रत्येक गांव में करीब 90 से 95 घर बाढ़ के पानी से प्रभावित हैं. इन सभी को प्रशासन की ओर से हर सुविधा मुहैया कराई जा रही है और आने जाने के लिए मोटर बोट भी लगा दिया गया है.
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