कृषि सेक्टर की गतिविधियों में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार पीएम कुसुम योजना चला रही है. सरकार ने कहा है कि पीएम कुसुम योजना को अब 2026 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है और इसके तहत निर्धारित कृषि कार्यों के लिए 34,422 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. योजना के तहत किसानों को जल और ऊर्जा सुरक्षा दी जाती है ताकि फसल की पैदावार और किसानों की आय बढ़ाई जा सके. ऊर्जा और सिंचाई की दिक्कत दूर करने के लिए दो साल के दौरान 10,000 मेगावाट के सोलर एनर्जी प्लांट और 14 लाख ऑटोमेटिक सोलर पंप स्थापित करने का लक्ष्य है.
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री आरके सिंह ने बीते 21 दिसंबर को लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि कृषि कार्यों में तेजी लाने और वित्तीय मदद के लिए पीएम कुसुम योजना को मार्च 2026 तक के लिए बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि योजना के तहत केंद्र की ओर से 34,422 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान यानी पीएम कुसुम योजना के मुख्य उद्देश्यों में कृषि क्षेत्र का डिजिटलीकरण, किसानों को जल एवं ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना के साथ ही किसानों की आय बढ़ाना शामिल है. जबकि, पर्यावरण प्रदूषण पर रोक लगाना भी योजना का अहम कार्य है. उन्होंने कहा कि योजना के तहत 2026 तक 34.8 गीगावॉट की सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों की बंजर, परती, चारागाह, दलदली, कृषि योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के सोलर एनर्जी प्लांट की स्थापना करना है. ये प्लांट किसान, सौर ऊर्जा डेवलपर, सहकारी समितियों, पंचायतों और किसान उत्पादक संगठनों के जरिए स्थापित किए जा सकते हैं. बताया गया कि ऑफ ग्रिड सेक्टर में 14 लाख ऑटोमेटिक सोलर पंप की स्थापना करने का टारगेट है, जिससे सिंचाई का संकट दूर करने में मदद मिलेगी. जबकि, इंडीविजुअल पंप और बिजली फीडर के साथ ही 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों को सोलर से लैस करना भी शामिल है.
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