आज शाम मोदी कैबिनेट की एक अहम बैठक है जिसमें एमएसपी बढ़ाने को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार खरीफ की फसलों पर MSP बढ़ाने की तैयारी में है और आज ही कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है. इस साल चुनाव और नई सरकार के गठन की वजह से इसमें देरी हुई है.
गौरतलब है कि पिछले साल 7 जून को खरीफ फसलों की एमएसपी बढ़ाई गई थी. वहीं इस साल लोकसभा चुनाव और नई सरकार के गठन की वजह से इसमें देरी हुई है. फसलों का दाम बढ़ाने का प्रस्ताव कृषि लागत एवं मूल्य आयोग देता है. आयोग की इस बारे में पहले बैठक हो चुकी है.
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बता दें कि मोदी कैबिनेट आज खरीफ की फसलों की एमएसपी बढ़ाने का फैसला कर सकती है. केंद्र सरकार लगभग 12 फसलों की एमएसपी बढ़ा सकती है. इन फसलों में धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, कपास और तिल शामिल हैं.
गौरतलब है कि पंजाब हरियाणा में किसान एमएसपी बढ़ाने को लेकर आंदोलनरत हैं. किसानों ने रेलवे ट्रेक जाम करने के साथ ही कई टोल भी बंद कराएं हैं. हालांकि, सरकार किसान संगठनों के साथ कई दौर की बातचीत कर चुकी है, लेकिन वार्ता के नतीजे वही रहे जो होते आए हैं. अब किसानों के आंदोलन को नरम करने के लिए सरकार ये मरहम लगा रही है. इसमें फसलों की एनएसपी बढ़ाने का एक फैसला हो सकता है. हालांकि, अभी ये खबर सूत्रों के हवाले से मिली है, पूरी बात गुरुवार शाम को कैबिनेट बैठक होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी.
जहां एक ओर आज मोदी सरकार खरीफ की फसलों पर एमएसपी बढ़ाने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के किसान अभी भी सोयाबीन की एमएसपी के लिए तरस रहे हैं. बता दें कि इस साल सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल पा रहा है. जबकि एमएसपी वह दाम होता है, जिससे कम पर बेचने का मतलब किसानों को घाटा होना है.
महाराष्ट्र में इस समय किसानों को सोयाबीन का दाम 3000 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच मिल रहा है, जबकि एमएसपी 4600 रुपये है. बता दें कि तिलहन फसल होने के बावजूद पूरे महाराष्ट्र में सोयाबीन का इतना कम दाम मिल रहा है जिससे किसान इसकी खेती करके पछता रहे हैं. महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक है.
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