मधुमक्खी पालन (Beekeeping) पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ स्थित परिषर में किया गया. कृषि विज्ञान केंद्र लखनऊ एवं लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ के द्वारा इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया. पूरे प्रदेश से इस संगोष्ठी में 450 से ज्यादा मधुमक्खी पालक किसानों ने भाग लिया. कार्यक्रम में कानपुर के अटारी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अध्यक्ष डॉ. शांतनु कुमार दुबे ने कहा हमारे देश और प्रदेश में घटती हुई जोत के कारण उन्नत कृषि तकनीकी और मशीनों का प्रयोग कम हो पा रहा है तथा किसानों के समूह में न होने से खेती में उत्पादन से लेकर बिक्री तक की बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में एफ.पी.ओ के गठन से किसानों की जोखिम लेने की शक्ति बढ़ेगी जिससे वे मधुमक्खी पालन और अन्य कृषि व्यवसाय से जुड़कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे और अपने उत्पाद को अच्छे दामों में बाजार में बेच पाएंगे. इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
दो दिवसीय इस संगोष्ठी में शहद की ब्रांडिंग, पैकेजिंग के साथ-साथ किसानों को प्रमाणिकरण के महत्व को भी बताया गया.
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मधुमक्खी पालन (Beekeeping) पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में पूर्व राष्ट्रीय सलाहकार मधुमक्खी पालन एवं विपणन रहे डॉ धनंजय एम वाखले ने बताया कि ज्यादातर मधुमक्खी का पालन करने वाले किसान केवल शहद उत्पादन पर ही अपना ध्यान देते हैं जबकि मधुमक्खी पराग के साथ-साथ रॉयल जेली का संग्रहण, भंडारण और जेली आधारित कॉस्मेटिक उत्पाद के द्वारा वे ज्यादा आय अर्जित कर सकते हैं. मौन पालन करने वाले किसानों को एक बॉक्स से 400 ग्राम रॉयल जेली पूरे साल में मिलती है. 1 किलो रॉयल जिले की कीमत 30 से 40 हजार रुपए प्रति किलो तक होती है. ऐसे में 12 से 15000 रुपए एक बॉक्स के माध्यम से प्राप्त किया जा सकते हैं. इसके अलावा केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की सहायक निदेशक रही डॉ के. लक्ष्मी राव ने बताया की किसान शहद के साथ-साथ औषधियों और कॉस्मेटिक तथा मूल्य वर्धित उत्पादों के उपयोग के बारे में जानकारी दी . इससे किसानों को ज्यादा फायदा होगा. कृषि विज्ञान केंद्र लखनऊ के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ अखिलेश दुबे ने बताया दो दिवसीय संगोष्ठी से कार्यक्रम में भाग लेने वाले किसानों को काफी फायदा होगा।
लघु कृषक कृषि व्यवसाय संघ के सहायक निदेशक रणजीत सिंह राजपूत ने बताया की मधुमक्खी पालन करने से किसानों को शहद ही नहीं प्राप्ति होती है बल्कि इससे आसपास की फसल और फलदार वृक्षों के उत्पादन में भी काफी वृद्धि होती है. किसान मधुमक्खी पालन करके साल में अच्छी आय अर्जित कर सकता है लेकिन इससे भी ज्यादा उसके फसलों का उत्पादन बढ़ जाता है. काजू , बादाम के साथ-साथ कई सब्जियों के उत्पादन में तो 200 से 500% से भी ज्यादा की वृद्धि मधुमक्खी पालन करने से बढ़ जाती है.
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