गर्मी के मौसम में मशरूम की खेती से किसान सर्दियों के मुकाबले ज्यादा फायदा कमा सकते हैं. कम जगह में खेती और लागत से कई गुना अधिक मुनाफा के लिए किसान तेजी से मशरूम की इस किस्म की तरफ रुख कर रहे हैं. मशरूम की वैसे तो हजारों किस्में हैं लेकिन कुछ किस्म ही खाने लायक होती है. हर राज्य की अपनी खास जलवायु के अनुकूल मशरूम का उत्पादन किया जाता है.
उत्तर प्रदेश के जलवायु के अनुसार बटन, ओयस्टर और मिल्की मशरूम की खेती को किसान बड़े ही आसानी से कर सकते हैं. मिल्की मशरूम की खेती गर्मी के मौसम में छोटे से कमरे में भी किसान कर सकते हैं.
मिल्की मशरूम पौष्टिक होने के साथ-साथ औषधीय गुण से भी भरपूर है. इसका सेवन करने से शरीर में रोग लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है. मिल्की मशरूम की खेती के लिए 38 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. वही वातावरण में 80 से 90% तक की नमी की जरूरत होती है.
मिल्की मशरूम की खेती के लिए तापमान 35 से 40 डिग्री तक होना चाहिए. दूधिया मशरूम की खेती को आसानी से कमरे में भी किया जा सकता है. ऊंचे तापमान में मशरूम की यह किस्म अच्छी पैदावार देती है. बाजार में मिल्की मशरूम की काफी ज्यादा डिमांड है. यहां तक कि कई बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सक मिल्की मशरूम के सेवन की सलाह भी देते हैं.
मिल्की मशरूम को उगाने के लिए सबसे पहले 200 लीटर के ड्रम में 100 लीटर पानी भर के उसमें 12 से 15 किलोग्राम भूसा को खूब दबा कर भिगोना होता है. इसके बाद 10 लीटर पानी में 125 मिली फॉर्मलीन और 7 ग्राम कार्बैंडाजिम मिलाकर ड्रम में भिगोए हुए भूसे के ऊपर धीरे-धीरे डालना चाहिए. 18 से 20 घंटे के बाद भूसा को बाहर निकलना है और फिर इसे गर्म पानी से उपचार कर सकते हैं.
बुवाई के लिए उपचारित किए गए भूसे में 40 से 50 ग्राम तक बीज (स्पान) की जरूरत होती है. प्रति किलोग्राम भीगे भूसे में निर्धारित मात्रा के अनुसार बुवाई करें. इसके बाद पॉलिथीन की थैलियों में भरकर इसके मुंह को रबड़ से बांधना होगा और इसको अंधेरे कमरे में रख देंगे. 20 दिन बाद केसिंग करना होगा. केसिंग के लिए बगीचे की मिट्टी और सड़ी गोबर की खाद 1:1 के अनुपात में मिलाकर दो प्रतिशत फॉर्मलीन से उपचारित करके 48 घंटे तक ढक कर रखेंगे. इस मिश्रण को पॉलिथीन का मुंह खोलकर दो से तीन इंच मोटाई तक बिछाकर हल्की सिंचाई करेंगे. 2 से 3 सप्ताह तक तापमान 30 से 38 डिग्री तक रखते हुए 90 परसेंट तक नमी को बनाए रखना होगा.
मिल्की मशरूम का उत्पादन केसिंग करने के 15 दिन बाद शुरू हो जाता है. इस दौरान कमरे के फर्श और दीवारों पर साफ पानी छिड़क कर 90 परसेंट तक नमी को बनाए रखते हैं. मशरूम का छत्ता जब 5 से 7 सेंटीमीटर हो जाए तो इसे तोड़ लें. 1 किलो ग्राम उपचारित भूसे से एक किलोग्राम तक ताजा दूधिया मशरूम को प्राप्त किया जा सकता है. अच्छी पैदावार के लिए प्रति किलोग्राम 20 से 25 रुपये खर्च आता है जबकि दूधिया मशरूम की बिक्री बाजार में 200 से 400 रुपये प्रति किलो के भाव में होती है. इस तरह किसान लागत से 10 गुना तक मिल्की मशरूम की खेती में मुनाफा कमा सकते हैं.
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