देश में हल्दी का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. हल्दी मसालों के रूप में सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली सामग्री है. आचार्य नरेंद्र देव विश्वविद्यालय में भी हल्दी की 8 प्रजातियों को विकसित किया गया है. इनमें से हल्दी की प्रजाति ND-98 इन दिनों किसानों के द्वारा सबसे ज्यादा बोई जा रही है. इस प्रजाति की हल्दी की सबसे बड़ी खास बात है कि इसका आकार काफी बड़ा होता है, जिसके चलते प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन 400 क्विंटल तक होता है. इसमें हल्दी में लगने वाली बीमारियां भी नहीं लगती हैं. इसके अलावा किसानों के द्वारा ND1 और ND2 का भी उपयोग किया जा रहा है. वहीं, आचार नरेंद्र विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि ND सरयू हल्दी की ऐसी वैरायटी है जो बोई जा सकती है. इसका भी उत्पादन काफी अच्छा है. प्रति हैक्टेयर साढे 300 क्टिंल तक इससे उत्पादन होता है.
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