वर्तमान समय में देश-दुनिया में लगातार मोटे अनाजों को बढ़ावा दिया जा रहा है.सरकारी विज्ञापनों से लेकर संसद के मेन्यू तक हर जगह इसका जिक्र किया जा रहा है. इसके अलावा लोगों को अपने आहार में मोटे अनाजों को शामिल करने की अपील की जा रही है. इन अनाजों को बढ़ावा देने के लिए साल 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स का नाम दिया गया है. लेकिन इसके पीछे क्या वजह है इस बात से अधिकांश लोग अनजान हैं. आइए जानते हैं मोटे अनाज इतने जरूरी क्यों हैं, साथ ही इनको बढ़ावा देने की वजह क्या है.
मोटे अनाजों के फायदे के बारे में जानने से पहले हमें मोटे अनाजों के बारे में जानना होगा.रागी, कंगनी, ज्वार, बाजरा, कोदो, सवां, चेना आदि मोटे अनाजों की सूची में आते हैं. इन अनाजों को अपने खाने में शामिल करना लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. दरअसल इन अनाजों में कैल्शियम, खनिज और फाइबर उपयुक्त मात्रा में पाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है. शरीर में मिनरल्स, आयरन हड्डियों और दांतों की कमजोरी को दूर करने के लिए मोटे अनाजों को खाने की सलाह दी जाती है. यह बढ़ती उम्र के बच्चों की वृद्धि और विकास के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. इतना ही नहीं इन अनाजों को खाने से पाचन क्रिया मजबूत होती है, पेट में जमे बैडफैट (चर्बी) शरीर से बाहर होते हैं और वजन को संतुलित रखने में मदद करते हैं.
हमने पहले ही मोटे अनाजों के कई फायदों के बारे में बताया है.लेकिन मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के पीछे भविष्य की तैयारी है. दरअसल तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन और बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता की बात है, ऐसे में फसलों के उत्पादन में कमी आएगी और खाद्य पदार्थों की मांग में बढ़ोतरी जिसके कारण सभी के लिए खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है. जलवायु परिवर्तन के कारण भविष्य में सूखा और अकाल पड़ने जैसी घटनाएं सामान्य हो जाएंगी. इस समस्या से निपटने के लिए ही मोटे अनाजों को बढ़ावा देने का प्रयास जारी है, क्योंकि इस तरह की फसलों को उगाने के लिए न खेतों पर किसी तरह के अतिरिक्त तैयारी की आवश्यकता होती हैऔर न ही खेतों की सिंचाई के लिए बहुत अधिक पानी की जरूरत होती है. मोटे अनाजों की खेती करके अकाल और सूखे की स्थिति से आसानी से निपटा जा सकता है.
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