मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट बीते मंगलवार को जारी हुआ है. इससे पहले सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण संसद के पटल पर रखा गया. आर्थिक सर्वेक्षण यानी भारत की अर्थव्यवस्था और उसकी विकास संभावनाओं का आकलन करने वाली वार्षिक रिपोर्ट. इस वार्षिक रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंता नागेश्वरन ने तैयार किया है, जो इस रिपोर्ट की प्रस्तावना में कृषि को विकास का इंजन बताते हैं. तो वहीं देश की कई समस्याओं के समाधान के लिए जड़ों की ओर लौटने की वकालत करते हैं. यानी भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार खेती की और लाैटने की सिफारिश कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कृषि व उससे जुड़े व्यवसाय ही भविष्य का बिजनेस हैं. आज की बात इसी पर. जानेंगे कि आर्थिक सर्वेक्षण में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंता नागेश्वरन ने खेती पर क्या कहा और इसके मायने क्या हैं.
आर्थिक सर्वेक्षण की प्रस्तावना में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंता नागेश्वरन लिखते हैं कि कृषि देश के विकास का इंजन बन सकती है, जिसकी आवश्यकता भी है और ये मुद्दा देश स्तर पर चर्चा के लिए परिपक्व भी है. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए वह कहते हैं कि कृषि और किसान देश के लिए महत्वपूर्ण हैं और अधिकांश देश इसे समझते हैं. इसी कड़ी में भारत सरकार भी बिजली, पानी, उर्वरक सब्सिडी प्रदान करती है. फसलाें की MSP दे रही है. किसानों का ध्यान दे रही है, लेकिन फिर भी, यह तर्क दिया जा सकता है कि मौजूदा और नई नीतियों के कुछ सुधार के साथ किसानाें को बेहतर सेवा दी जा सकती है.
आर्थिक सर्वेक्षण की ये रिपोर्ट कहती है कि केंद्र व राज्य सरकारों की एक दूसरे के साथ विपरीत उद्देश्यों पर काम करने वाली नीतियों किसानों के हितों को नुकसान पहुंचा रही हैं. अगर हम कृषि क्षेत्र की नीतियों को नुकसान पहुंचाने वाली गांठों को खोल दें तो इसका बहुत बड़ा लाभ होगा.
आर्थिक सर्वेक्षण की इस प्रस्तावना में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंता नागेश्वरन देश के मौजूदा विकास मॉडल को भी कटघरे में खड़ा करते हैं. वह कहते हैं कि पहले के विकास मॉडल में देश की अर्थव्यवस्थाएं अपनी विकास यात्रा में कृषि से औद्योगीकरण और मूल्यवर्धित सेवाओं की ओर पलायन करती थीं. अब तकनीकी उन्नति और जियो-पॉलिटिक्स इस पारंपरिक ज्ञान को चुनौती दे रही हैं.
व्यापार संरक्षणवाद, संसाधन-संग्रह, अतिरिक्त क्षमता और डंपिंग, ऑनशोरिंग उत्पादन और एआई के आगमन से देशों के सामने मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में विकास की संभावनाएं कम हो गई हैं, जो पारंपरिक ज्ञान को उलटने के लिए मजबूर कर रहा है. इस चुनौती का समाधान कृषि सेक्टर में छिपा है संबंधित सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि खेती के तौर-तरीकों और नीति निर्माण के मामले में जड़ों की ओर लौटना, कृषि में वैल्यू एडिशन उत्पन्न कर सकता है, इससे किसानों की आय बढ़ सकती है, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि इंपोर्ट के अवसर पैदा हो सकते हैं. साथ ही कृषि क्षेत्र भारत के शहरी युवाओं के लिए फैशनेबल और उत्पादक बन सकता है.
आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंता नागेश्वरन भविष्य में मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में विकास की संंभावनाओं पर सवाल खड़ा करते हैं. तो वही खेती में भविष्य की संंभावनाएं देखते हैं. तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या खेती ही भविष्य का बिजनेस है.
इस सवाल का जवाब अर्थव्यस्था के हिसाब से समझने की कोशिश करते हैं. आजादी के बाद से ही देश की अर्थव्यवस्था में कई सेक्टरों की तुलना में कृषि सेक्टर पिछड़ रहा है, लेकिन रोजगार देने में ये सेक्टर कई अन्य सेक्टरों से आगे है. साल 2022-2023 में देश की जीडीपी में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी लगभग 18 फीसदी थी, जबकि इस सेक्टर ने 40 फीसदी लाेगों को रोजगार दिया था. अगर भविष्य में एआई से मौजूदा प्रभावी विकास दर प्रभावित होती है तो कृषि ही नए रोजगार के रास्ते खाेलते हुए अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
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