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Kisan Andolan में बिहार फसल खरीद मॉडल पर क्‍यों होती है बात! क्‍या है बिहार मंडी सिस्‍टम खत्‍म करने की कहानी

Kisan Andolan में बिहार फसल खरीद मॉडल पर क्‍यों होती है बात! क्‍या है बिहार मंडी सिस्‍टम खत्‍म करने की कहानी

बिहार मंडी सिस्‍टम को रद्द करने की कहानी के बाद बिहार मंडी सिस्‍टम की शुरुआत की कहानी पर बात करते हैं, जिसकी बुनियाद सहजानंद सरस्‍वती के नेतृत्‍व में बिहार में हुए किसान आंदोलन रहे.

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बिहार Apmc मंडी एक्‍ट की बार-बार क्‍यों होती है चर्चा बिहार Apmc मंडी एक्‍ट की बार-बार क्‍यों होती है चर्चा

MSP गारंटी कानून समेत कई मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन चल रहा है. पंंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान 13 फरवरी से डटे हैं. इससे पहले 13 महीने तक किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्‍ली बॉर्डर पर आंदोलित रहे. कुल जमा MSP गारंटी कानून की मांग होती रही है. तो वहीं इस कानून के समर्थन में बार-बार किसान आंदोलन समर्थकों की तरफ से बिहार फसल खरीद मॉडल का जिक्र किया जाता है, जिसमें बिहार में मंडी सिस्‍टम यानी APMC खत्‍म होने से गेहूं और धान की गड़बड़ाई सरकारी खरीद का उदाहरण दिया जाता है. 

नतीजतन किसानों को गेहूं और धान को भी MSP से कम कीमत पर बेचना पड़ता है, जबकि देश के दूसरे राज्‍यों में गेहूं और धान की MSP पर यानी सरकारी खरीद सबसे बढ़िया है. आइए इसी कड़ी में बिहार में मंडी सिस्‍टम खत्‍म करने की पूरी कहानी जानते हैं. जानेंगे कि बिहार में मंंडी सिस्‍टम की व्‍यवस्‍था में क्‍या था, अब अनाज खरीद की व्‍यवस्‍था क्‍या है.

बिहार मंडी सिस्‍टम खत्‍म करने की कहानी 

बिहार मंंडी सिस्‍टम खत्‍म करने कहानी बेहद ही छोटा अध्‍याय समेटे हुए है. किसान आंदोलन की धरती कहे जाने वाले बिहार में साल 2006 में नीतीश कुमार के नेतृत्‍व वाली सरकार ने बिहार कृषि उपज बाजार अधिनियम, 1960 को रद्द कर द‍िया था. असल में बिहार कृषि उपज बाजार अधिनियम, 1960 से ही बिहार में मंंडी सिस्‍टम लागू था, मतलब किसानों की MSP पर फसल खरीद सरकारी मंंडियों में थी.

इस कानून को खत्‍म करने के लिए नीतीश कुमार सरकार 10 अगस्‍त 2020 को विधानसभा में बिहार कृषि उत्पादन बाजार (निरसन) अधिनियम, 2006 विधेयक पास किया, जिसे 1 सितंबर, 2006 को अधिसूचित किया गया. मतलब, तब बिहार में मंंडी सिस्‍टम को खत्‍म कर नई व्‍यवस्‍था लागू की गई, जो अभी तक जारी है. इसके विरोध में पटना में रैलियां निकाली गई, विरोध प्रदर्शन हुआ, लेकिन किसान आंदोलन की भूमि बिहार में इस व्‍यवस्‍था को किसानों ने स्‍वीकार कर लिया. 

किसान आंदोलन, बिहार मंडी सिस्‍टम की बुनियाद 

बिहार मंडी सिस्‍टम को रद्द करने की कहानी के बाद बिहार मंडी सिस्‍टम की शुरुआत की कहानी पर बात करते हैं, जिसकी बुनियाद सहजानंद सरस्‍वती के नेतृत्‍व में बिहार में हुए किसान आंदोलन रहे. इसकी जानकारी देते हुए क‍िसान मजदूर कमीशन ड्राफ्ट‍िंग कमेटी के सदस्य डॉ गोपाल कृष्ण कहते हैं कि 2006 में रद्द किए बिहार APMC एक्‍ट यानी 2006 से पहले बिहार में APMC मंडिया बिहार कृषि उपज बाजार अधिनियम, 1960 के तहत प्रभावी थी, जबकि बिहार कृषि उपज बाजार अधिनियम, 1960 साल 1939 में मुख्‍यमंत्री श्रीकृष्‍ण सिंह की तरफ से विधानसभा में पेश किए फसल खरीद कानून की काॅपी था.

असल में बिहार में उससे पहले सहजानंद सरस्‍वती के नेतृत्‍व में कई किसान आंदोलन हुए. इसकी परिणति में 1939 में अविभाविजत बिहार के मुख्‍यमंत्री श्रीकृष्‍ण सिंह के नेतृत्‍व में विधानसभा में एक कानून लाया गया. इसी तर्ज पर 1960 में श्रीकृष्‍ण सिंह ने मुख्‍यमंत्री रहते हुए बिहार कृषि उपज बाजार अधिनियम, 1960 को पारित किया, जिसे 2006 में नीतीश कुमार ने रद्द किया. 

बिहार का कानून ही देश का APMC मंडी कानून का मॉडल बना

माना जाता है कि सबसे पहले बिहार में APMC मंडी कानून बना था. इसको लेकर क‍िसान मजदूर कमीशन ड्राफ्ट‍िंग कमेटी के सदस्य डॉ गोपाल कृष्ण कहते हैं कि 1963 को केंद्र सरकार ने संवैधानिक शक्‍तियों का प्रयाेग करते हुए बिहार कृषि उपज बाजार अधिनियम, 1960 को केंद्र शासित प्रदेश मणिपुर तक लागू कर दिया. इसके साथ ही माना जाता है कि कई राज्‍यों ने भी बिहार की तर्ज पर APMC मंडी कानून बनाया. 

बिहार मंडी सिस्‍टम में व्‍यवस्‍था क्‍या थी 

बिहार मंडी सिस्‍टम की व्‍यवस्‍था की बात करें तो 2006 से पहले बिहार में किसानों से उपज खरीद का मजबूत ढांचा था. मंडी सिस्‍टम के तहत 96 मार्केट यार्ड थे, वहीं 129 बाजार समितियां थी, इसी तरह गोदाम, प्राशासनिक भवन, ग्रेडिंंग इकाईयां की व्‍यवस्‍था थी. वहीं 2004 में बिहार मंडी सिस्‍टम को और मजबूत करने के लिए मोटा फंड खर्च किया गया था.

अब पैक्‍स और व्‍यापार मंंडल करते हैं फसलों की खरीद 

बिहार में 2006 में मंंडी सिस्‍टम खत्‍म कर दिया गया था. इसके बाद राज्‍य सरकार फसल खरीद के लिए प्राइमरी एग्रीकल्‍चर क्रेडिट यानी पैक्‍स और व्‍यापार मंडल को प्रभावी बनाया गया. इस नई व्‍यवस्‍था के तहत पैक्‍स गांव स्‍तर पर प्रभावी हैं, जो गांवों में किसानों से फसलों की खरीद करते हैं, जबकि व्‍यापार मंंडल ब्‍लाक स्‍तर पर प्रभावी हैं, जो ब्‍लॉक स्‍तर पर किसानों से MSP पर फसलों की खरीद करते हैं, लेक‍िन इस नई व्‍यवस्‍था में पैक्‍स और व्‍यापार मंडल पर आरोप लगते रहे हैं कि वह MSP से कम दाम में किसानों से फसल की खरीदारी करते हैं.