जौनपुर की इमरती पूरे देश में मशहूर है. इस इमरती का नाम आते ही मुंह में लोगों के पानी आने लगता है. यहां पर आने वाले मेहमानों इमरती उपहार स्वरूप भेंट की जाती है. जौनपुर की मशहूर इमरती का स्वाद देश के राष्ट्रपति से लेकर कई प्रधानमंत्री ने चखा है. जिले की पहचान इमरती के लिए अब योगी सरकार ने जीआई टैग यानी ज्योग्राफिकल इंडिकेशन के लिए चेन्नई स्थित रजिस्टार ऑफिस में भेजा गया है. जीआई टैग मिलने से जौनपुर किया मिठास पूरे विश्व में फैल जाएगी.
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सितंबर 2022 में घोषणा के बाद जिला प्रशासन ने इमरती को जीआई टैग देने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था.
जौनपुर की मशहूर इमरती का इतिहास 170 साल से भी पुराना है जिले में मौजूद बेनीराम देवी प्रसाद की इमरती की दुकान 168 साल पुरानी है. यहां की इमरती के मुरीद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से लेकर चंद्रशेखर सिंह भी थे. दुकान के मालिक प्रेमचंद मोदनमल ने बताया कि इस इमरती को बनाने का सिलसिला 1855 में गोमती नदी के किनारे शाही पुल के पास नखास मोहल्ले के निवासी बेनीराम और देवी प्रसाद नाम के दो सगे भाइयों ने शुरू किया था. इस इमरती की सबसे बड़ी खासियत है उड़द की दाल, देशी चीनी और शुद्ध देसी घी की मदद से इसे लकड़ी की आंच पर बनाया जाता है. इमरती को बनाने के लिए उड़द की दाल को सिलबट्टे पर पीसकर इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण इसका स्वाद और भी ज्यादा लजीज होता है. जौनपुर की यह इमरती को लोग विदेश तक लेकर जाते हैं.
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जौनपुर में इमरती का व्यापार करने वाले 40 लोगों के हस्ताक्षर करके जीआई टैग के लिए सहमति ली गई है. यह इमरती देशी चीनी से बनाई जाती है और इसमें कोई रंग नहीं मिलाया जाता है. जौनपुर के उपायुक्त उद्योग हर्ष प्रताप सिंह ने बताया कि जीआई टैग की मंजूरी को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है. इस पर पहले आपत्ति आई थी जिसको ठीक करके दोबारा भेजा गया है. मंजूरी मिलने के बाद जिले की इमरती की पहचान किसी की प्रतिष्ठान के नाम से नहीं सिर्फ जौनपुर की इमरती के नाम से होगी.
जौनपुर की मशहूर इमरती को अब जीआई टैग मिलने जा रहा है. टैगिंग करने के लिए जरूरी दस्तावेज भेज दिए गए हैं. वहीं यह इमरती जल्द ही फ्लिपकार्ट और अमेजॉन पर भी ग्राहकों को मिल सकेगी. इसकी औपचारिकता को पूरा कर लिया गया है. जौनपुर में उद्योग के उपायुक्त हर्ष प्रताप सिंह ने बताया की जीआई टैग मिलने से इस इमरती का व्यापार बढ़ जाएगा. इससे सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी होगी तो वही जिले के कारीगरों को अलग पहचान मिल सकेगी.
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