भारतीय किसानों की फसलों के दाम पर WTO में घमासान होने की संंभावनाएं लगाई जा रही हैं. इसके पीछे मुख्य कारण ये है कि देश में किसान आंदोलित हैं. मसलन, किसान MSP गारंटी कानून की मांग कर रहे हैं. इस बीच WTO का चार दिवसीय 26 से 29 फरवरी तक मंत्री स्तरीय सम्मेलन हो रहा है, जिसे देखते हुए MSP गारंटी पर WTO समझौताें के पेंच पर चर्चाओं का बाजार गर्म है. तर्क-वितर्क के इस संग्राम में WTO की फार्मर सब्सिडी नीतियों को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है.
माना जा रहा है कि WTO की शर्तों की वजह से भारत के किसानों को MSP की गांरटी देना संंभव नहीं है. क्योंकि MSP गारंटी WTO की फार्मर सब्सिडी नीतियों के खिलाफ है. इसे ध्यान में रखते हुए अब किसान संंगठन भी भारत सरकार से WTO से बाहर आने की मांग कर रहे हैं, लेकिन भारतीय किसानों को परेशान कर रही WTO की ये नीतियां भेदभावपूर्ण नजर आती है.
इन नीतियों को भेदभावपूर्ण वाले कटघरे में खड़ा करने का सबसे बड़ा उदाहरण ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ II को मिल चुकी फार्मर सब्सिडी भी है. यहां पर ये जानाना जरूरी है कि ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ II को बीते सालों में निधन हो गया है, लेकिन बीते एक दशक पहले तक क्वीन एलिजाबेथ II दुनिया में सबसे अधिक फार्मर सब्सिडी प्राप्त करने वाली शख्सियतों में से एक थी.
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इसके साथ ही सऊदी राजकुमार समेत दुनिया के कई धनाढ्याें को WTO के इस नीतियों के अनुरूप दुनिया में सबसे अधिक फार्मर सब्सिडी मिलती रही है. आइए समझते हैं कि ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ II को मिलने वाली फार्मर सब्सिडी का मामला क्या था और भारतीय किसानों की MSP गारंटी का पेंच WTO में कैसे फंसा है. इसको लेकर विशेषज्ञ क्या कहते हैं.
दुनिया के नक्शे में शामिल कई देशों में कई सालों तक राज करने वाला ग्रेट ब्रिटेन भी WTO का सदस्य है. तो वहीं दुनिया के 150 से अधिक देश भी WTO में शामिल हैं. WTO के इन सदस्य देशों की कहानी की बात करें तो ब्रिटिश राज में शामिल कई देशों के किसान अपनी फसलों के दाम और सम्मानजनक कृषि सब्सिडी की मांग कर रहे हैं. इसके उलट ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ II को 2015 तक फार्मर सब्सिडी मिलती रही है.
बेशक क्वीन एलिजाबेथ किसान नहीं थीं, लेकिन नॉरफॉक क्षेत्र में एक बड़े सैंड्रिंघम एस्टेट का मालिकाना हक उनके पास था. इस वजह से उन्हें 2015 से पहले के दशक में 8 मिलियन यूरो की फार्मर सब्सिडी मिली थी, जिसे सबसे अधिक फार्मिंग सब्सिडी के तौर पर रेखांकित किया जाता है. इसके साथ ही फार्मिंग सब्सिडी पाने वाले में सऊदी के राजकुमार समेत कई अमेरिका के कॉरपाेरेट घराने भी शामिल रहे हैं.
क्वीन एलिजाबेथ II को मिलने वाली फार्मर सब्सिडी की बात करें तो उसे यूरोपियन यूनियन की कृषि नीति से समझना होगा. बेशक यूरोपियन यूनियन के सभी देश WTO का हिस्सा हैं, लेकिन यूरोपियन यूनियन अपने क्षेत्र में किसानों, खेती योग्य भूमि के मालिकों को सामान्य कृषि नीति (सीएपी) के तहत फार्मिंग सब्सिडी प्रदान करता है.
ऐसे में क्वीन एलिजाबेथ II किसान ना होने के बावजूद भी कृषि योग्य जमीन की मालिकन थी, जो उन्हें फार्मर सब्सिडी देने का आधार था. यहां पर ये ध्यान देने की जरूरत है कि ब्रेक्सिट के तहत ब्रिटेन 2020 में यूरोपियन यूनियन से बाहर हो गया था, जनमत के तहत ब्रिटेन के लोगों ने 2016 में यूरोपियन यूनियन से अलग होने का जानादेश दिया था.
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इसके बाद से ब्रिटेन के शाही परिवार को यूरोपियन यूनियन से फार्मर सब्सिडी नहीं मिल रही है, लेकिन, लंबे समय तक ब्रिटेन का शाही परिवार फार्मिंग सब्सिडी का लाभ प्राप्त करता रहा है. वहीं यूरोपियन यूनियन से बाहर आने के बाद फार्मिंग सब्सिडी यूरोपियन यूनियन से नहीं मिल रही है, जिसे शाही परिवार को होने वाले नुकसान के तौर पर भी रेखांकित किया जाता है.
भारतीय किसानों की MSP गारंटी की मांग पर WTO के पेंच को समझने की कोशिश करें तो WTO ने इंटरनेशनल कृषि व्यापार के खराब होने का हवाला देते हुए किसी भी देश की सरकार की तरफ से तकरीबन 10 फीसदी से अधिक फसल की खरीद पर रोक की शर्त लगाई हुई है. तो वहीं WTO ने अपनी शर्तों में ये भी कहा है कि किसी भी देश में फसलों का दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर से अधिक नहीं होना चाहिए. वहीं विकासशील देशों की फार्मर सब्सिडी को रेड बॉक्स में डाला हुआ है. इससे फसलों की खरीद और दाम तय करने की व्यवस्था प्रभावित होती है. तो वहीं किसानों को फार्मर सब्सिडी भी नहीं मिल पाती है.
क्वीन एलिजाबेथ II को मिलने वाली फार्मर सब्सिडी और WTO की नीतियों पर किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट कहते हैं कि WTO के नियम भेदभावपूर्ण है. वह अमेरिका के हितों की रक्षा करने वाले हैं. वह कहते हैं कि भारतीय किसान और क्वीन एलिजाबेथ में इस मामले में तुलना करना सही नहीं है. वह महारानी थीं और उन्हें लैंड लार्ड कहा जा सकता है, जबकि भारतीय किसानों के पास औसत जोत 2 हेक्टेयर ही है. वह आगे कहते हैं कि भारत में एक किसान जितना रुपये का उत्पादन करता है उतना तो अमेरिका में किसानों को उतनी सब्सिडी मिलती है.
वहीं बीजेपी किसान मोर्चा के पूर्व पदाधिकारी नरेश सिरोही कहते हैं कि सिर्फ क्वीन एलिजाबेथ II ही नहीं अमेरिका के कई कॉरपोरेट घराने भी फार्मर सब्सिडी का लाभ लेते हैं. उनकी योजना खेती को बचाने की है. विरोध के बाद भी अमेरिका ने फार्मर सब्सिडी में कटौती नहीं नहीं की है. वहां कई कॉरपोरेट घराने मोटी फार्मर सब्सिडी का लाभ उठा रहे हैं. इसी मुद्दे पर विकासशील देश विकसित देशों का विरोध कर रहे हैं और दोहा के बाद से वार्ता नहीं हो पाई है.
वहीं MSP गारंटी मोर्चा के संंयोजक सरदार वीएम सिंह कहते हैं कि अमेरिका अपने किसानों को 60 हजार डॉलर की सब्सिडी देता है. यूरोपियन यूनियन में बेहतर फार्मर सब्सिडी मिलती है. वह कहते हैं कि मौजूदा समय में भारत में भी जरूरत है कि किसानों को सुरक्षा दी जाए, लेकिन इसका उलटा हो रहा है. किसानों के बजाय उपभोक्ताओं को अधिक सब्सिडी दी जा रही है.
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