पंजाब सरकार ने प्रदेश के टीचर्स को एक नोटिस जारी किया है. यह कारण बताओ नोटिस है. इसमें टीचर्स से पूछा गया है कि इस बात की वजह बताएं कि आखिर किसानों को पराली जलाने से क्यों नहीं रोक पाए. पंजाब में आजकर टीचर्स पढ़ाई का काम छोड़कर खेतों में किसानों को पराली नहीं जलाने के लिए समझा रहे हैं. लेकिन जो टीचर इस काम को पूरा नहीं कर पाए, उन्हें सरकार की ओर से नोटिस जारी कर कारण पूछा गया है.
एक नोटिस एसडीएम जीरा फिरोजपुर की ओर से जारी किया गया है. इस नोटिस में लिखा गया है, "आपको सूचित किया जाता है कि आपको पराली जलाने के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और आग को रोकने का काम सौंपा गया था. नीचे हस्ताक्षरकर्ता को सूचित किया गया है कि जिन गांवों में आपको यह काम सौंपा गया था, वहां से बार-बार पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि आप अपने कर्तव्य का पालन निष्ठा से नहीं कर रहे हैं और ग्रामीणों को जागरूक नहीं किया जा रहा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कार्यवाही की जानी चाहिए. यदि आप अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो लिखित स्पष्टीकरण के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं. यदि आपका उत्तर संतोषजनक नहीं पाया जाता है तो उसके नुसार कार्यवाही की जाएगी."
यह नोटिस फिरोजपुर जिले में जारी की गई है. इस जिले में पराली जलाने के 497 मामले सामने आए हैं जिसमें 297 एफआईआर दर्ज की गई है और 232 किसानों की जमीन पर रेड एंट्री की गई है. डिप्टी कमिश्नर फिरोजपुर दीपशिखा ने जानकारी दी की इस साल अभी तक पराली जलाने के 497 मामले सामने आए हैं. जिन किसानों ने पराली में आग लगाई है उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और उनके रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है. इससे किसान ई-खरीद पोर्टल पर दो सीजन तक अपनी उपज नहीं बेच पाएंगे.
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फिरोजपुर में पराली की आग रोकने में नाकाम रहे अधिकारियों के भी खिलाफ कार्रवाई की गई है. जो अधिकारी अपनी ड्यूटी पर नहीं मिले उन अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है. हालांकि फिरोजपुर में पिछले साल से पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं और इसमें 60 फीसद तक कमी बताई जा रही है. यहां 400 के आसपास मामले सामने आए हैं जबकि पिछले साल 1400 के करीब पराली जलाने के केस मिले थे.
पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को पंजाब में केवल 13 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे कुल संख्या 4,145 हो गई. आंकड़ों के अनुसार, फिरोजपुर (5), संगरूर (3), बठिंडा (2), पटियाला (2) और फरीदकोट (1) में सक्रिय आग की घटनाएं देखी गईं.
आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 4 नवंबर तक पंजाब में कुल 4,145 सक्रिय आग की घटनाएं देखी गईं. पंजाब में अभी भी धान की कटाई चल रही है. अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है.
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चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को जल्दी से हटाने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं. पंजाब में 2023 में कुल 36,663 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे ऐसी घटनाओं में 26 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. राज्य में 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 आग की घटनाएं दर्ज की गईं.(अमन भारद्वाज का इनपुट)
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