धान दुनिया की मुख्य खाद्यान्न फसल है जो कि लगभग 60 फीसदी आबादी का भोजन है. वहीं धान की मुख्यतः तीन उप-प्रजातियां है इंडिका, जैपोनिका और जावनिका. जहां इंडिका प्रजाति का चावल आकार में लंबा होता है. वहीं जैपोनिका प्रजाति का धान गोल तथा जावनिका प्रजाति का धान मध्यम आकार का होता है. भारत समेत दुनिया के 100 से अधिक देशों में धान की खेती होती है. जबकि, दुनिया का 90 फीसदी चावल का उत्पादन तथा उपभोग एशियाई देशों में किया जाता है. चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा धान का उत्पादन होता है. इसके अलावा इंडानेशिया, बांग्लादेश, वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार प्रमुख धान उत्पादक देश है.
इसके अलावा भारत भले ही दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक देश है, लेकिन प्रति हेक्टेयर के औसत उत्पादन में बहुत पीछे है. इसकी सबसे बड़ी वजह है आज भी देश में परंपरागत तरीके से ही धान की खेती की जा रही है. वहीं, उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को धान के उन्नत किस्मों की खेती करना होगी. ऐसे में आइए आज तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) द्वारा विकसित धान की उन्नत किस्म Co-57 के बारे में जानते हैं जिसकी उपज लगभग डबल है-
हाल ही में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) ने Co-57 नाम की एक नई कवुनी चावल की किस्म विकसित की है, जो दोगुनी उपज दे सकती है. टीएनएयू की कुलपति वी गीतालक्ष्मी के अनुसार, धान की उन्नत किस्म Co-57 सभी मौसमों के लिए उपयुक्त है यानी इसकी खेती पूरे साल की जा सकती है. वहीं इस किस्म की उपज 4,600 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो उपयोग में लाई जाने वाली कवुनी चावल के लोकप्रिय किस्म की तुलना में 100 प्रतिशत अधिक है. इसके अलावा, यह 130-135 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाएगा. यह किसानों के लिए लाभकारी किस्म है.
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धान की नई किस्म Co-57 में कवुनी की परंपरागत किस्म की तुलना में उच्च पोषण तत्व पाए जाते हैं. इसमें फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और कार्बोहाइड्रेट कम होता है. इसके अलावा, फ्लेवोनोइड्स की मौजूदगी के कारण कावुनी में कैंसर रोधी गुण भी हैं.
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धान की खेती करने वाले राज्यों की सूची में पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और असम राज्य शामिल हैं. ये राज्य मिलकर भारत में धान की अधिकांश खेती में अपना अहम योगदान देते हैं. हालांकि, चावल भारत के अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में भी उगाया जाता है. वहीं भारत में धान की खेती का स्थान, जलवायु, मिट्टी के प्रकार, पानी की उपलब्धता और अन्य स्थानीय परिस्थितियों जैसे कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है.
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