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ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन पर घटते खर्च की वजह क्या मुफ्त राशन मिलना है? जानिए एक्सपर्ट ने क्या कहा 

ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन पर घटते खर्च की वजह क्या मुफ्त राशन मिलना है? जानिए एक्सपर्ट ने क्या कहा 

सांख्यिकी मंत्रालय ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बीते 10 सालों में अगर परिवार के घरेलू खर्च को देखा जाए तो ये दोगुना हो गया है. खास बात ये है कि ये रिपोर्ट सिर्फ शहरों पर केंद्रित नहीं है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खाने पर खर्च कम हुआ है और बाकी चीजों पर लोग पहले से ज्यादा खर्च करने लगे हैं. एक्सपर्ट ने कहा कि इसे ऐसे भी समझा जा सकता है क्योंकि खाने की अगर बात करे तो एक बड़ी आबादी तक राशन फ्री में पहुंच रहा है. तो वो अब खाने की फिक्र नहीं कर रहा है अगर पेट भरा तो शख्स बाकी खर्चों पर ध्यान देता है.

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NSO रिपोर्ट के मुताबिक घरों में खाने के सामान पर कम खर्च हो रहा है. NSO रिपोर्ट के मुताबिक घरों में खाने के सामान पर कम खर्च हो रहा है.

सांख्यिकी मंत्रालय ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, ये रिपोर्ट भारतीय परिवारों से जुड़ी हुई है जो कहती है कि बीते 10 सालों में अगर परिवार के घरेलू खर्च को देखा जाए तो ये दोगुना हो गया है. अब खर्च दोगुना हुआ तो ऐसे में सवाल ये है कि ये खर्च किसपर हो रहा है. मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक घरों में खाने के सामान पर कम खर्च हो रहा है. वहीं, इस बीच ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट दावा कर रही है कि लोग खाने की जगह फैशन, कपड़े, मनोरंजन से जुड़ी वस्तुओं और इलेक्ट्रिक गैजेट्स पर ज्यादा खर्च कर रहे है. खास बात ये है कि ये रिपोर्ट सिर्फ शहरों पर केंद्रित नहीं है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी खाने पर खर्च कम हुआ है और बाकी चीजों पर लोग पहले से ज्यादा खर्च करने लगे हैं.

लोगों के बदलते रुझान और उनके खर्च के बदलते तरीकों को समझने के लिए हमने बात कि बिजनेस एक्सपर्ट एके मिश्रा से. उन्होंने बताया कि लोगों का रुझान इसलिए बदला है क्योंकि आय भी बढ़ी है. आम आदमी के पॉकेट में अगर हजार रुपए है तो वो इसे किस चीज पर खर्च करता है ये उसकी जरूरत तय करती है. इसमें खाना दवाई जैसी महत्वपूर्ण चीज़े शामिल हैं. कुछ वक्त पहले तक लोग 2 जून की रोटी के लिए मशक्कत करते थे. लेकिन, अब तस्वीर बदल रही है अब लोगों की आय में भी इजाफा हो रहा है. अगर रिपोर्ट कि बात करें तो वो भी यही कहती है कि लोगों का खर्चा दोगुना हुआ है इसका ये मतलब नहीं की लोग खाना नहीं खा रहे या जरूरत पर ध्यान नहीं दे रहे. बल्कि इसको ऐसे समझा जा सकता है कि वो अब लग्जरी चीजें खरीदने लगे हैं.

जैसे ही बेसिक जरुरतें पूरी होती हैं आदमी की डिमांड बढ़ जाती है. यही वजह है कि बीते कई सालों में खाने के साथ फैशन एंटरटेनमेंट इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर खर्च करने लगा है. वहीं, अब शहरों के अलावा गांव में भी ये तस्वीर बदली है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है क्योंकि खाने की अगर बात करे तो एक बड़ी आबादी तक राशन फ्री में पहुंच रहा है. तो वो अब खाने की फिक्र नहीं कर रहा है अगर पेट भरा तो शख्स बाकी खर्चों पर ध्यान देता है.

वहीं, फैशन एक्स्पर्ट साक्षी नाग ने बताया कि कोरोना के बाद खर्च की तस्वीर बदली है. इसकी एक वजह सोशल मीडिया इंफ्ल्यूएंसर भी है, जिन्होंने बड़े ब्रांड्स के साथ लोकल फॉर वोकल के तहत नये ब्रांड को शहरों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रमोट किया है. इसकी वजह से लोग वो चीजें भी खरीद पाए जो ज्यादा महंगे भी नहीं हैं. उनके बजट में आते हैं और यह भी एक मुख्य वजह से बीते कई सालों में लोगों के ख़र्च का रुझान काफ़ी बदला है. (रिपोर्ट- नीतू झा)

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