नाबार्ड ने आदिवासी इलाकों में खेती की पारंपरिक विधियों को संरक्षित करने और उन्हें बढ़ावा देने के साथ ही कृषि कार्यों में वित्तीय दिक्कतों को दूर करने के लिए वित्तीय मदद बढ़ाने की तैयारी कर ली है. नाबार्ड की ओर से आदिवासी समुदाय की जीवनशैली को बेहतर करने के लिए महिलाओं को कृषि में जरूरी वित्तीय मदद दी जा रही है. इसके लिए नाबार्ड ने 67 हजार सहकारी समितियों और बैंकों को डिजिटल बनाया है, ताकि सरकारी योजनाओं के साथ वित्तीय वित्तीय मदद तेजी से पहुंचाई जा सके.
नाबार्ड के ग्रामीण भारत महोत्सव में जनजातीय धरोहरों, विरासत को संरक्षित करने और उनकी प्रगति को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया. इसके अलावा सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ कृषि से जीवनस्तर बेहतर करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है. जनजातीय धरोहरें विषय पर पैनल चर्चा में एक्सपर्ट ने कहा कि जनजातीय आबादी के सामने आने वाले मुद्दों और समग्र विकास की आवश्यकता है. इसके अलावा आदिवासी कौशल को अपडेट करने, उनकी मौलिकता को बनाए रखने, बैंक कनेक्शन को बढ़ावा देने और शिल्प और बाजार संबंधों को आधुनिक बनाने के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाने की बात कही गई.
नाबार्ड के उप प्रबंध निदेशक गोवर्धन सिंह रावत ने समावेशी विकास के चार स्तंभों- महिलाएं, युवा, किसान और वंचितों पर जोर दिया. उन्होंने जनजातीय मुद्दों को संबोधित करते हुए उनकी कला, परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्व को साझा किया. उन्होंने जनजातीय समुदायों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों में शामिल प्रवास, आजीविका के दुर्लभ अवसर, वित्तपोषण तक पहुंच और अपर्याप्त डॉक्यूमेशन को दूर करने की बात कही. उन्होंने कहा कि यह चुनौतियां वित्तीय समावेशन में बाधा बनते हैं. एक्सपर्ट ने कहा कि इंटरनेट पोर्टल आदिवासी विकास के लिए निवेश आकर्षित कर सकता है, जिसमें निवेशकों का विश्वास हासिल करने और निवेश को बढ़ावा देने में नाबार्ड की अहम भूमिका है.
विकसित भारत के लिए सहकारी समितियों को मजबूत करना भी टारगेट है. नाबार्ड के अनुसार वह 67,000 से अधिक सहकारी समितियों को डिजिटल बनाने और सहकारी बैंकों के लिए साझा सेवाओं को बढ़ावा देने की पहल कर चुका है. इससे ग्रामीण और आदिवासी आबादी के लिए सुलभ और किफायती बैंकिंग सुविधाएं सुनिश्चित करने में मदद मिली है.
नाबार्ड जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए जैविक खेती करने को बढ़ावा दे रहा है. नाबार्ड कृषि विकास के लिए बायो फर्टिलाइजर पर जोर दे रहा है और अब तक देशभर में 2324 बायोगैस और कंप्रेस्ड बायोगैस यूनिट लगाई जा चुका है. यह प्लांट छोटे किसानों और आदिवासी कृषकों को केमिकल खाद पर लगने वाले महंगे खर्च से बचाने में मदद करने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ा रहे हैं. 2025 में देशभर में और बायोगैस प्लांट लगाए जाने की योजना है.
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