खेती में ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. अब खेती के कई काम ड्रोन के जरिये हो रहे हैं. बड़े-बड़े खेतों में जहां मैनुअल काम में घंटों लगते हैं, ड्रोन से वही काम मिनटों में हो रहा है. किसानों के बीच इसकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है. यही वजह है कि कई कंपनियां ड्रोन के क्षेत्र में उतर रही हैं और अपना प्रोडक्ट लॉन्च कर रही हैं. हालांकि ड्रोन के दाम बहुत अधिक हैं, इसलिए किसानों को इसे खरीदना मुश्किल है. किसानों की इस चिंता को दूर करने के लिए सरकार सब्सिडी पर ड्रोन मुहैया करा रही है. इन तमाम बातों के बीच आइए जान लेते हैं कि खेती का ड्रोन कैसे काम करता है और एक चार्ज में कब तक इसे उड़ा सकते हैं.
अभी दो तरह के ड्रोन इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं. 10 किलो वजन का और 20 किलो वजन का. यहां वजन से मतलब पेलोड से है. यानी 10 किलो वाला ड्रोन 10 किलो पेलोड लेकर और 20 किलो वाला ड्रोन 20 किलो पेलोड लेकर उड़ान भर सकता है. इस पेलोड में आप केमिकल स्प्रे आदि को ले सकते हैं. 10 किलो वाला ड्रोन 10 किलो वजन का छिड़काव लेकर उड़ान भर सकता है और खेतों में छिड़काव कर सकता है.
10 किलो वजन का ड्रोन सामान्य तौर पर खेती में इस्तेमाल होता है. इस वजन वाला ड्रोन एक चार्ज में 30 मिनट तक उड़ान भर सकता है. यानी खेतों में यह ड्रोन आधा घंटा तक खेती का काम कर सकता है. इसमें आप दवा या खाद का छिड़काव करें या पानी से फसल को पटाएं. आधा घंटा तक यह ड्रोन एक चार्ज में आराम से काम करेगा.
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अब यह जान लें कि 10 किलो पेलोड का ड्रोन कितना एरिया कवर करता है. ऐसे ड्रोन की उड़ान दूरी पर निर्भर नहीं करती बल्कि एरिया पर निर्भर करती है. किसी खेत का कितना एरिया है, उस आधार पर ड्रोन अपना काम करता है. 10 किलो वाले ड्रोन को एक एकड़ के एरिया में पेस्टिसाइड स्प्रे करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. यह काम एक चार्ज में कर सकते हैं.
अब जान लेते हैं कि खेती वाला ड्रोन कैसे ऑपरेट करता है. ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए पहले खेत की मैपिंग की जाती है. मैपिंग में इस बात की जानकारी ली जाती है कि लैंड एरिया कितना है और उसके लिए पेस्टिसाइड की कितनी मात्रा पेलोड के तौर पर ड्रोन में भरना होगा. इन सभी जानकारियों को ड्रोन के डिजिटल सिस्टम में फीड किया जाता है. इस फीड को ड्रोन में सेव कर दिया जाता है. इसी जानकारी के आधार पर ड्रोन अपना पाथ यानी कि एरिया और रास्ता डिसाइड करता है.
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ड्रोन का यह सारा काम ऑटोमेटिक होता है. एक बार खेत की जानकारी फीड कर देने के बाद ड्रोन खुद से काम करता है. खेती वाला ड्रोन ऑटो पायलट और मैनुअल दोनों तरह का होता है. आप चाहें तो ड्रोन में सारी जानकारी फीड कर दें और उसमें खाद या स्प्रे आदि का पेलोड भर कर उड़ा दें तो ड्रोन अपने आप सारा काम कर लेगा. मैनुअल में ड्रोन का पायलट अपने हिसाब से ड्रोन को ऑपरेट करता है. इसमें पायलट अपनी मर्जी से जैसे चाहे ड्रोन को उड़ाता है और खेती का काम ऑपरेट करता है. मार्केट में इस तरह का ड्रोन 10 लाख रुपये तक में आता है.
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