दाल की बढ़ी कीमतों ने नवंबर में महंगाई दर को ऊपर जाने पर बल दिया है. जबकि, अक्टूबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर घटकर 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई थी और यह आंकड़ा 4.87 फीसदी रहा. हालांकि. इससे पहले सितंबर माह में महंगाई दर 5.02 फीसदी थी. उपभोक्ताओं को अक्टूबर में मिली राहत अगले आंकड़ों में ऊपर जा सकती है.
तूर, चना और मूंग दाल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण बीते अक्टूबर में दालों की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 18.79% पहुंच गई. इस सप्ताह तूर दाल की कीमत बीते साल की तुलना में प्रति किलो 46 रुपये महंगी हो गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार तूर दाल की अखिल भारतीय खुदरा कीमत पिछले साल के 112 रुपये प्रति किलोग्राम से 40 फीसदी बढ़कर इस साल 158 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. मुख्य रूप से अरहर, चना और मूंग की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के कारण अक्टूबर में दालों की रिटेल इनफ्लेशन बढ़कर 18.79% हो गई, जबकि अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीति 6.61 फीसदी दर्ज की गई थी.
नवंबर में भी दाल की कीमतों में गिरावट नहीं आने से महंगाई दर आंकड़े परेशान कर सकते हैं और दालों की महंगाई दर 18.79% के पार जा सकती है. जबकि, नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति दर 6.61 फीसदी के ऊपर जा सकती है. जबकि, इससे पहले सितंबर महीने खाद्य मुद्रास्फीति दर 6.62 फीसदी दर्ज की गई थी. जबकि पिछले साल अक्टूबर 2022 में खाद्य महंगाई दर 7.01 फीसदी थी. नवंबर माह के आंकड़ों में फूड इनफ्लेशन आंकड़े दाल की कीमतों की वजह से 7 फीसदी के नजदीक जा सकते हैं.
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अक्टूबर महीने के दौरान खाद्य तेल की कीमतों में भारी गिरावट जारी रही, जो नवंबर महीने में भी जारी रही है. लेकिन दाल, प्याज और मसालों की अधिक कीमतों के चलते महंगाई दर आगे बढ़ने की आशंका है. बता दें कि खरीफ सीजन के दौरान तूर का रकबा कम हो गया, जिससे उत्पादन में कमी आई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार तूर का क्षेत्रफल 29 सितंबर 2022 को 46.13 लाख हेक्टेयर से घटकर 29 सितंबर 2023 को 43.87 लाख हेक्टेयर हो गया है.
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