वैज्ञानिकों ने तैयार की हल्‍दी की नई खुशबूदार किस्‍म, एक हेक्‍टेयर में 41 टन तक मिलेगी पैदावार

वैज्ञानिकों ने तैयार की हल्‍दी की नई खुशबूदार किस्‍म, एक हेक्‍टेयर में 41 टन तक मिलेगी पैदावार

भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR), कोझिकोड ने किसानों को उच्‍च उपज देने वाली और सुगंधि‍त (खुशबूदार) हल्‍दी की एक नई वैरायटी की सौगात दी है. संस्‍थान ने इसका नाम IISR सूर्या रखा है, जो हल्‍के रंग की एक किस्‍म है. यह किस्‍म हल्‍दी पाउडर उद्योग की खास जरूरतों को पूरा करेगी.

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वैज्ञानिकों ने तैयार की हल्‍दी की नई खुशबूदार किस्‍म, एक हेक्‍टेयर में 41 टन तक मिलेगी पैदावारIISR कोझेकोड ने बनाई हल्‍दी की नई किस्‍म (सांकेतिक तस्‍वीर)

भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में मसाले और औषध‍ि के रूप में हल्‍दी का इस्‍तेमाल होता है. साथ ही यहां बड़े पैमाने पर हल्‍दी की खेती होती है. देश में हल्‍दी उत्‍पादन और किसानों को प्रोत्‍साहित करने के लिए इस क्षेत्र में सरकार कदम उठा रही है. हाल ही में हल्‍दी उद्योग और किसानों की वर्षों पुरानी मांग को पूरा करते हुए केंद्र ने हल्‍दी बोर्ड का गठन किया. अब इसी साल भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (IISR), कोझिकोड ने किसानों को उच्‍च उपज देने वाली और सुगंधि‍त (खुशबूदार) हल्‍दी की एक नई वैरायटी की सौगात दी है. संस्‍थान ने इसका नाम IISR सूर्या रखा है, जो हल्‍के रंग की एक किस्‍म है. यह किस्‍म हल्‍दी पाउडर उद्योग की खास जरूरतों को पूरा करेगी.

किसानों को होगा फायदा

दि हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, रिसर्चर्स ने बताया कि IISR सूर्या हल्‍दी को फोकस्‍ड रिसर्च के बाद बनाया गया है. इस किस्‍म से हाई क्‍वालिटी हल्‍दी पाउडर के लिए खेती करने वाले किसानों को काफी फायदा होने की उम्‍मीद है. नई किस्‍म के आने से खुले और निर्यात बाजार में हल्‍दी की अन्‍य लोकल कि‍स्‍मों पर बनी अत्‍यध‍िक निर्भरता खत्‍म होगी और उत्‍पाद की कमी दूर होगी.

41 टन पैदावार देने में सक्षम

IISR सूर्या हल्‍दी हल्‍के रंग के साथ खुशबूदार होने के साथ ही बाजार में पहले से मौजूद  हल्के रंग की स्थानीय किस्मों के मुकाबले 20-30 फीसदी ज्‍यादा पैदावार देने के सक्षम है. रिसर्चर्स ने बताया कि IISR सूर्या प्रति हेक्टेयर 41 टन तक पैदावार देने में सक्षम है. इस किस्‍म में करक्यूमिन की मात्रा 2-3 प्रतिशत तक है. यही मात्रा अन्य हल्के रंग की हल्दी किस्मों में भी पाई जाती है, लेकिन इसकी पैदावार ज्‍यादा है.

10 साल की रिसर्च के बाद बनी किस्‍म

नई हल्‍दी वैरायटी बनाने वाले वैज्ञानिकों में डी. प्रसाद, एस. आरती, एन.के. लीला, एस. मुकेश शंकर और बी. शशिकुमार शामिल हैं. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह किस्‍म 10 साल तक चली रिसर्च के बाद बनाई जा सकी है. IISR सूर्या को संस्थान के हल्दी जर्मप्लाज्म कंजर्वेटरी में रखे गए एक्सेस से क्लोनल चयन के जरिए बनाया गया है. ऑल इंडिया को-ऑर्डिने‍टेड रिसर्च प्रोजेक्‍ट ऑन स्‍पाइसेस ने केरल, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश में IISR सूर्या हल्‍दी की खेती करने की सिफारिश की है.

निजामाबाद में है हल्‍दी बोर्ड का मुख्‍यालय

मालूम हो कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल 14 जनवरी को नई दिल्ली में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का शुभारंभ किया था. हल्‍दी बोर्ड का मुख्‍यालय निजामाबाद में बनाया गया है और इसके पहले अध्‍यक्ष पल्ले गंगा रेड्डी बनाए गए हैं. राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड में विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ निर्यातक और उत्पादक निकाय के प्रतिनिधि‍ भी बोर्ड में शामिल रहेंगे.

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