भारत में आम की एक हजार से ज्यादा किस्में मौजूद है. देश में आम की सबसे बड़ी किस्म की बात करें तो नूरजहां का नाम सबसे पहले जुबा पर आता है. वही सबसे छोटी किस्म अंगूर दाना है. वहीं आम की सबसे खूबसूरत किस्मों में हुस्नआरा का नाम शामिल है. हुस्नआरा आम में मिठास के साथ साथ खूबसूरती भी है. नाम के अनुरूप हुस्नआरा के हुस्न के चर्चे पूरे विश्व में है. आम की यह खास वैरायटी लखनऊ के मलिहाबाद क्षेत्र में पैदा होती है. आसाम में मिठास के साथ-साथ इसकी चमक और लालिमा दूसरे आमो से इसे अलग पहचान देती है. इस आम की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह कई दिनों तक खराब नहीं होता है.
मैंगो मैन के नाम से पहचान रखने वाले पद्मश्री से सम्मानित मलिहाबाद के कलीम उल्लाह खान बताते हैं कि मिर्जागंज निवासी मिर्जा हसनू की पुत्री हुस्नआरा के नाम पर इस आम का नाम रखा गया खुर्शीदाबाद के नवाब ने इसका नाम रखा था. यह आम दूसरे आमों से स्वाद और रंग रूप में बिल्कुल अलग है. आम की यह किस्म अपनी खूबसूरती के चलते किसानों को अच्छा मुनाफा भी दिलाती है. बाजार में इस आम की कीमत , 200 से लेकर 300 रुपए किलो तक होती है.
हुस्नआरा आम का रंग सुर्ख होता है. जब यह कच्चा होता है तो हरे रंग का दिखाई देता है लेकिन पकने के बाद यह आम सुनहरा ,पीला और सुर्ख लाल हो जाता है. इस आम का छिलका काफी पतला और कश्मीरी सेब की तरह होता है. यह आम नाम के अनुरूप अपनी खूबसूरती के लिए भी पूरे विश्व में मशहूर है.
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आम की मौजूद हर किस्म की अपनी एक अलग खासियत है. हुस्नआरा आम को उगाने वाले किसान उपेंद्र सिंह ने बताया यह आम अपनी खूबसूरती के लिए एक अलग पहचान रखता है. इस आम की विदेशों में काफी डिमांड रहती है. आम की दूसरी वैरायटी लंगड़ा , चौसा और दशहरी के मुकाबले हुस्न आरा 200 से ₹300 किलो तक बाजार में बिकता है. आम का उत्पादन भी काफी अच्छा है जिसके चलते एक पेड़ से किसान को ₹20000 तक की आमदनी हो जाती है . इस आम की सबसे बड़ी खासियत है कि पेड़ लगाने के 3 साल के भीतर ही यह फल देने लगता है. इस पेड़ से कोई बच्चा भी बड़े आसानी से फल को तोड़ सकता है. जमीन से 6 इंच ऊपर इस किस्म के पेड़ में फल लगने लगते हैं.
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