गेहूं और धान के बाद मक्का भारत की तीसरी महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है. मक्के का आटा, कॉर्नफ्लेक्स, पॉपकॉर्न, बेबीकॉर्न और स्वीटकॉर्न जैसे उत्पाद प्रमुख हैं, जिनका उपयोग आज देश के प्रत्येक घर में हो रहा है. वहीं किसान भी मक्के की अलग-अलग किस्मों की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. इसका उपयोग पशु चारा में भी किया जाता है. मक्का के दानों में 10 प्रतिशत प्रोटीन, 4 प्रतिशत तेल, 70 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट तथा 2.3 प्रतिशत क्रूड फाइबर पाया जाता है. इसमें विटामिन 'ए', निकोटिन अम्ल, राइबोफ्लेविन और विटामिन 'ई' पाया जाता है. मक्का, विश्व की महत्वपूर्ण फसल है. इसका 150 से अधिक देशों में उत्पादन किया जाता है. स्वीटकॉर्न की खेती खरीफ सीजन में की जाती है. खरीफ सीजन चल रहा है, ऐसे में किसान इसकी सही तरीके से खेती कर अच्छा उत्पादन कमा सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिक अभिषेक कुमार, दयानंद, रशीद खान और प्रदीप कुमार के अनुसार स्वीटकॉर्न को दूधिया अवस्था में ही तोड़कर काम में लिया जाता है. इसकी फसल की परागण के 20 से 22 दिनों के बाद भुट्टे की अवस्था पर तुड़ाई की जाती है. स्वीटकॉर्न की खेती वर्षभर की जा सकती है, हालांकि यह खरीफ सीजन की फसल है. यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है. इससे कम समय में अधिक लाभ कमाया जा सकता है. स्वीटकॉर्न के भुट्टे बाजार में काफी महंगे बिकते हैं. किसान इसकी खेती करके अधिक मुनाफा और पौष्टिक हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं.
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बीज के अंकुरण में लगभग 45-50 दिनों के बाद नर मंजरी आती है और इसके 2-3 दिनों के बाद मादा मंजरी आती है. खरीफ के मौसम में परागण के 15-20 दिनों के बाद स्वीटकॉर्न के भुट्टों की तुड़ाई की जा सकती है. इस अवस्था की पहचान भुट्टे के ऊपरी भाग यानी सिल्क के सूखने से की जा सकती है या इस अवस्था में भुट्टे को नख से दबाने पर दूध जैसा-तरल पदार्थ निकलने लगता है. इसके बाद यह स्टार्च में बदलने लगता है, जिससे मिठास व गुणवत्ता कम होने लगती है. इसकी तुड़ाई सुबह या शाम को करें. हरे भुट्टे को तोड़ने के बाद बचे हुए हरे पौधे को चारे के रूप में इस्तेमाल करें.
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