हॉलीवुड फिल्म ‘द रिवर’: विकास के बरक्स परंपरा और जमीन से जुड़े किसान के संघर्ष की कहानी

हॉलीवुड फिल्म ‘द रिवर’: विकास के बरक्स परंपरा और जमीन से जुड़े किसान के संघर्ष की कहानी

‘द रिवर’ कहानी है एक किसान दंपति टॉम और मे गार्वी की, जिनकी जमीन पूर्व टेनेसी में एक नदी के पास है. पुरखों की इस जमीन पर वे अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं और खेती से आजीविका कमाते हैं.

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हॉलीवुड फिल्म ‘द रिवर’: विकास के बरक्स परंपरा और जमीन से जुड़े किसान के संघर्ष की कहानीविकास के बरक्स परंपरा और जमीन से जुड़े किसान के संघर्ष की कहानी

1980 का दशक अमेरिकी किसानों के लिए संकटपूर्ण दशक था. आर्थिक मंदी, सूखे और कर्जे की मार ने बहुत से किसानों की कमर तोड़ दी थी. इसी दौरान किसानों द्वारा जमीन बेच कर दूसरे व्यवसायों की तरफ रुख करने के चलन ने तेजी पकड़ी और खेती की जमीन तेजी से घटी. बैंकों ने कर्ज़ उगाही तेज़ की तो बहुत से किसान परिवार उजड़ गए और कुछ ने आत्महत्या तक की. इस दौरान हॉलीवुड ने इन्हीं मुद्दों को उठाते हुए कुछ सशक्त फिल्में बनायीं जिनमें ‘द रिवर’ एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. मार्क रिडेल द्वारा निर्देशित यह फिल्म उन तीन फिल्मों में से एक है जो 80 के दशक में किसानों के मुद्दों को केंद्र में रखकर हॉलीवुड में बनाई गईं. ‘प्लेसेज इन द हार्ट’ ‘कंट्री’ अन्य दो ऐसी महत्वपूर्ण फिल्में हैं.

एक किसान दंपति की कहानी ‘द रिवर’

फिल्म की नायिका के रोल में थीं सिसी स्पसेक. स्पसेक अभिनेत्री तो थीं ही, लेकिन वे ग्रामीण पृष्ठभूमि से थीं और खेती में किस तरह की मेहनत की ज़रूरत होती है, इससे वाकिफ थीं. नायक थे मैल गिब्सन. मेल गिब्सन ऑस्ट्रेलियाई मूल के हैं. निर्देशक मार्क रिडेल उन्हें इस फिल्म में नहीं लेना चाहते थे क्योंकि उन्हें नायक के संवादों में टेनेसी के किसान का लहजा चाहिए था, जो मेल गिब्सन के औस्ट्रेलियाई लहजे से बहुत अलग है, लेकिन स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मेल गिब्सन ने अपने संवादों पर बहुत मेहनत की और मार्क रिडेल के सामने संवाद बोल के सुनाए. रिडेल उनके लहजे में आए बदलाव से हैरान हो गए और प्रभावित होकर उन्होंने मैल गिब्सन को ही इस भूमिका के लिए चुन लिया.

‘द रिवर’ कहानी है एक किसान दंपति टॉम और मे गार्वी की, जिनकी जमीन पूर्व टेनेसी में एक नदी के पास है. पुरखों की इस जमीन पर वे अपने दो बच्चों के साथ रहते हैं और खेती से आजीविका कमाते हैं. नदी के पास रहने के फायदे हैं तो नुकसान भी. सिंचाई में आसानी होती है, ज़मीन उपजाऊ है लेकिन जब नदी में बाढ़ आ जाती है तो खेतों और घर को बचाना भी मुश्किल हो जाता है. गांव वालों के साथ मिल कर नदी पर अस्थायी बांध भी बनाया जाता है. जीवन कठिन है, लेकिन यह दंपति कमोबेश खुश है.

कर्ज़ उगाही का शिकार दंपति की कहानी

बैंकों द्वारा कर्ज़ उगाही का शिकार यह दंपति भी होता है और मजबूरन टॉम को एक स्टील फैक्ट्री में काम करना पड़ता है. उसकी गैर-मौजूदगी में उसकी पत्नी मे एक हादसे में घायल भी हो जाती है. टॉम वापिस आ जाता है और खेती ही करने का निश्चय करता है. गांव का ही स्थानीय बैंकर, जो वेड गांव की नदी के पास की जमीन खरीद कर वहां एक बांध बनाना चाहता है लेकिन टॉम अपनी जमीन नहीं बेचना चाहता. गांव के ज़्यादातर किसान कर्जे में डूबे हैं और जो वेड की बात मान लेते हैं.

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अंततः सभी कठिनाइयों से जूझते हुए टॉम न सिर्फ नदी के आक्रोश से अपने खेतों को बचाता है, बल्कि गांव के अन्य किसानों को भी इस बात के लिए राजी कर लेता है कि वे अपनी जमीन ना बेचें और एक बड़े बांध की बजाय अस्थायी तटबंध बना कर ही खेती की हिफाजत करें. जो वेड उनकी बात मान तो लेता है लेकिन जाते-जाते चेतावनी देता है. देर-सबेर नदी में या तो बाढ़ आएगी, या सूखा पड़ेगा और वह उसी स्थिति का इंतज़ार करेगा जब किसानों को बड़े बांध की ज़रूरत महसूस होगी.

150 करोड़ रुपये था फिल्म का बजट

जो वेड की भूमिका में स्कॉट ग्लेम अद्भुत हैं. अगर गार्वी दंपति कर्जे और खेती की समस्याओं से जूझते किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो जो वेड उस आधुनिकीकरण और ‘विकास’ का प्रतिनिधित्व करता है जो परंपरागत कृषि भूमि को लील रहा है.

19 दिसंबर 1984 को रिलीज हुई इस फिल्म का बजट था, करीब 150 करोड़ रुपये, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म सिर्फ 96 करोड़ ही कमा पाई. कुछ समीक्षकों ने इसकी आलोचना की तो कुछ ने प्रशंसा. कुछ समीक्षकों का यह मानना था कि बांध बनाने के लिए जमीन देना बहुत तर्कपूर्ण है और टॉम का अपनी जमीन पर ही खेती करते रहने की ज़िद्द पर अड़े रहना नासमझी ही दर्शाता है, लेकिन अगर आज के परिप्रेक्ष्य में इस फिल्म को देखें तो टॉम की यही ज़िद्द पारंपरिक खेती ही नहीं पर्यावरण संरक्षण के एक माध्यम के तौर पर भी सटीक लगती है. प्रकृति को बांध कर हम उसके साथ तालमेल नहीं बैठा सकते बल्कि हमारा प्रयास उसके साथ सामंजस्य बैठाना ही होना चाहिए. आधुनिक पर्यावरणविद अब इसी बात की वकालत कर रहे हैं.

57वें ऑस्कर अवार्ड्स में चयनित किया गया

‘द रिवर’ को फिल्माने के लिए फिल्म निर्माताओं ने टेनेसी में होल्स्टन नदी के किनारे 440 एकड़ जमीन खरीदी और उसमें मक्का भी बोई. फिल्म के सभी अभिनेता और क्रू एक महीने पहले से उसी इलाके में रहने लगे और खेती के सारे तौर तरीके भी सीखने लगे. बाढ़ के दृश्यों के लिए टेनेसी वैली अथॉरिटी और आर्मी कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स ने फोर्ट पैट्रिक हेनरी बांध से पानी का इंतज़ाम किया. यही वजह है कि फिल्म के दृश्य और सिनेमैटोग्राफी ज़बरदस्त है. खेत, बाढ़ और नायक द्वारा अस्थायी तटबंध बनाने की कोशिश, यह सब बहुत प्रभावी रूप से फिल्माया गया है.

बहरहाल, अभिनय और स्क्रीनप्ले को लेकर फिल्म की आलोचना हुई. लगभग सभी ने मैल गिब्सन की आलोचना की तो सिसी स्पसेक के अभिनय की तारीफ. इस फिल्म को 57 वें ऑस्कर अवार्ड्स में पांच श्रेणियों में चयनित किया गया. ‘द रिवर’ फ्लॉप होने के बावजूद एक सुंदर, और प्रभावपूर्ण फिल्म है जो एक किसान का अपनी जमीन के प्रति लगाव और प्रतिबद्धता का संवेदनशील चित्रण करती है. आज भी इसे किसानों पर बनी हॉलीवुड की तीन महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक माना जाता है. क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण संरक्षण की बढ़ती ज़रूरत के मद्देनजर यह फिल्म और भी प्रासंगिक हो गई है.

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